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विधायिका | संसद और विधानमंडल | Legislature | Parliament and Legislature

संविधान की इस शृंखला में हम इससे पहले भी विधायिका के बारे में कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका में पढ़ चुके हैं।

Table of Contents

जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे भारत में संघीय व्यवस्था को अपनाया गया है। यानि यहाँ केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर सरकार का गठन किया जाता है, जोकि संघीय व्यवस्था कहलाती है।
लोकतंत्र की यह विशेषता (संघीय व्यवस्था) हमारे संविधान में कनाडा से ली गई है।

विधायिका

हमारे भारत में विधायिका दो स्तरों पर देखने को मिलती है।

इससे पहले हम यह पढ़ चुके हैं कि जो विधेयक या बिल (Bill) बनाने का कार्य करती है उसे हम विधायिका कहते हैं, यही विधेयक बनाने का कार्य दो स्तरों पर किया जा सकता है पहला केंद्र स्तर पर और दूसरा राज्य स्तर पर।

ऐसे ही हम विधायिका को दो भागों में बाँट कर देख सकते हैं।

केंद्रीय स्तर पर विधायिका  

1. केंद्रीय स्तर पर विधायिका को संघीय विधायिका कहते हैं।
2. संघीय विधायिका के प्रमुख भाग को हम संसद कहते हैं।
3. संसद के तीन अंग या भाग होते हैं- राष्ट्रपति, राज्यसभा, लोकसभा
4. इसीलिए केंद्र स्तर पर बनाया गया कानून संसद के तीनों अंगों द्वारा (राष्ट्रपति, राज्यसभा, लोकसभा) पारित होना आवश्यक होता है।
5. यह संसदीय व्यवस्था हमने ब्रिटेन से ली है।
6. हमारे संविधान में इसे (संसद) अनुच्छेद 79, राष्ट्रपति को अनुच्छेद 52 में, राज्य सभा को अनुच्छेद 80 और लोकसभा को अनुच्छेद 81 में बताया गया है।

राज्य स्तर पर विधायिका

1.  राज्य स्तर पर विधायिका को राज्य विधायिका कहा जाता है।
2.  राज्य विधायिका के प्रमुख भाग को हम विधानमंडल कहते हैं।
3.  विधानमंडल में भी संसद जैसी संरचना होती है।
4.  विधानमंडल के भी तीन भाग होते हैं- राज्यपाल, विधानसभा और विधानपरिषद
5.  इसीलिए राज्य स्तर पर बनाया गया कानून विधानमंडल के तीनों अंगों द्वारा (राज्यपाल, विधानसभा, विधानपरिषद) पारित होना आवश्यक होता है।

राष्ट्रपति

इनमें से राष्ट्रपति के पद तथा राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में हम पहले पढ़ चुके हैं।
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भारत के वर्तमान राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद

राज्यसभा

  • जैसा कि हम पहले पढ़ चुके हैं हमारी संसदीय व्यवस्था में संसद के तीन अंग होते हैं राष्ट्रपति, राज्यसभा और लोकसभा।
  • राज्यसभा को स्थायी सदन के नाम से भी जाना जाता है।
  • राज्यसभा के नाम से ही हमें पता चल जाता है कि यह राज्यों की सभा है, यहाँ राज्यों के प्रतिनिधित्व को दर्शाया जाता है। यानि इस सभा में सभी राज्यों के प्रतिनिधि होते हैं।
  • इसे हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि क्यूंकी हमारे यहाँ संघात्मक शासन व्यवस्था है तो सभी राज्यों को संसद में अपना प्रतिनिधि भेजने का अधिकार है।
  • इसीलिए विधानसभा के माध्यम से सभी राज्य संसद के राज्यसभा में अपने-अपने प्रतिनिधि भेज सकते हैं। हालांकि सदस्यों की संख्या उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित की जाती है।
  • जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधि होने के कारण सभी राज्यों से समान संख्या में सदस्य नहीं होते।
  • भारतीय संविधान की चौथी अनुसूची में राज्यसभा की सीटों के आवंटन (बंटवारे) को बताया गया है।
  • वर्तमान में राज्यसभा की सीटों का आवंटन 1971 की जनगणना के अनुसार है।

राज्यसभा में सीटों का आवंटन

A. अधिकतम सीटें- 250
B. वर्तमान में राज्यों के प्रतिनिधि- 233
C. राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत- 12

लोकसभा

राज्यसभा को संसद का उच्च सदन और लोकसभा को संसद का निम्न सदन कहा जाता है।
  • इसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रुप से होता है।
  • लोकसभा को लोकप्रिय सदन और जनता का सदन जैसे नामों से जाना जाता है। क्यूंकी यहाँ के सदस्य सीधे जनता द्वारा ही चुने जाते हैं।
  • लोकसभा को अस्थायी सदन के नाम से भी जाना जाता है।

लोकसभा में सीटों का आवंटन

A. अधिकतम सीटें- 552
B. आंग्ल-भारतीय (एंग्लो-इंडियन)- 2 (राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत)
C. वर्तमान में लोकसभा में कुल 545 सदस्य हैं। 
D. जिनमें से 543 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से और 2 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत हैं।
E. 543 = 530(राज्यों से) + 13(केंद्र शासित प्रदेशों से)

विधानसभा

हम लोकसभा के कार्यों को पहले ही पढ़ चुके हैं; जैसे केंद्र स्तर पर लोकसभा कार्य करती है ठीक उसी प्रकार राज्य स्तर पर विधानसभा कार्य करती है।
हमारे संविधान में किसी राज्य की विधानसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 500 और न्यूनतम 60 निश्चित की गई है। यह संख्या उस राज्य की जनसंख्या के आधार पर निर्धारित होती है।

विधानपरिषद

  • राज्य के इस सदन की तुलना या समानता हम राज्यसभा से मान सकते हैं परंतु पूरी तरह नहीं। क्यूंकी इसके कुछ सदस्य शिक्षकों, तो कुछ पंचायतों द्वारा तथा कुछ राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते हैं।
  • राज्य की विधानसभा की एक तिहाई सीटें या उससे कम ही विधानपरिषद में होती हैं।
  • राज्य सभा के समान विधानपरिषद एक सतत् सदन है, अर्थात् यह एक स्थायी सदन है जिसका विघटन नहीं होता। विधानपरिषद  के एक सदस्य (Member of Legislative Council- MLC) का कार्यकाल छह वर्ष का होता है, जिसमें एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष में सेवानिवृत्त होते हैं।

विधानपरिषद का गठन और विघटन

  • वर्तमान में भारत के 6 राज्यों में विधानपरिषद है। 
  • संसद एक विधान परिषद को (जहाँ यह पहले से मौजूद है) का विघटन कर सकती है और (जहाँ यह पहले से मौजूद नहीं है) इसका गठन कर सकती है। यदि संबंधित राज्य की विधानसभा इस संबंध में प्रस्ताव पारित करे तथा इस तरह के किसी प्रस्ताव का राज्य विधानसभा द्वारा पूर्ण बहुमत (दो तिहाई बहुमत) से पारित होना आवश्यक होता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 171 के तहत, किसी राज्य की विधान परिषद में राज्य विधानसभा की कुल संख्या के एक तिहाई से अधिक और 40 से कम सदस्य नहीं होंगे

छोटी-छोटी मगर बड़े काम की बातें

  • विधानसभा और राज्यपाल सभी राज्यों में अनिवार्य रुप से होते हैं जबकि विधानपरिषद सभी राज्यों में अनिवार्य नहीं है।
  • राज्यसभा को उच्च सदन के नाम से भी जाना जाता है।
  • राज्यसभा को विशेषज्ञों का समूह भी कहते हैं।
  • इसमें अप्रत्यक्ष रुप से चुनाव होता है।
  • राज्यसभा के सदस्य अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि लोकसभा के सदस्य अपने चुनाव क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • प्रत्यक्ष चुनाव– जब जनता अपने प्रतिनिधि का चुनाव स्वयं करती है।
  • अप्रत्यक्ष चुनाव– जब जनता के चुने हुए प्रतिनिधि किसी का चुनाव करते हैं।
  • लोकसभा को दोनों सदनों में से अधिक शक्तिशाली सदन माना जाता है।
  • विधानपरिषद वाले 6 राज्य- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक
  • दिल्ली और पुडुचेरी ऐसे केंद्र शासित प्रदेश हैं जहाँ विधानसभा है।
  • 84वें संविधान संशोधन 2001 में यह निश्चित किया गया कि लोकसभा और विधानसभा की सीटें 2026 तक वैसी ही रहेंगी जैसी थी अर्थात 1971 की जनगणना के आधार पर।

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