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SARTHAQ | सार्थक | NEP-2020 के प्रभाव एवं उद्देश्य

SARTHAQ (सार्थक) NEP-2020

हाल ही में शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल (निशंक) ने (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) NEP- 2020 के कार्यान्वयन (implementation) पर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की कार्यान्वयन योजना SARTHAQ की शुरुआत की।

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Education Minister Shri Ramesh Pokriyal Nishank

SARTHAQ 2022 में स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर; आयोजित होने वाले अमृत महोत्सव के एक हिस्से के रूप में शुरू किया गया है।

SARTHAQ क्या है?

SARTHAQ का पूरा नाम Students and Teachers Holistic Advancement through Quality Education (गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से छात्रों व शिक्षकों की समग्र उन्नति) है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों का अनुसरण करने में राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को सहायता करने के लिए
  • यह कार्यान्वयन योजना लॉन्च की गई है।
  • इसे स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता विभाग द्वारा विकसित किया गया है।
  • स्कूल शिक्षा तथा साक्षरता विभाग शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
  • यह अगले 10 वर्षों के लिए NEP-2020 के कार्यान्वयन के लिए रोडमैप और आगे की राह तैयार करेगा।
  • सार्थक को राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों,
  • स्वायत्त निकायों और
  • सभी हितधारकों से प्राप्त सुझावों के साथ व्यापक एवं गहन परामर्श के माध्यम से विकसित किया गया है।
  • सार्थक का मुख्य उद्देश्य गतिविधियों को इस तरह परिभाषित करना है, जो लक्ष्यों, परिणामों और समय-सीमा को स्पष्ट बताता हो।
  • इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।

SARTHAQ के प्रभाव

  • स्कूल एजुकेशन,
  • टीचर एजुकेशन एवं
  • वयस्क शिक्षा के लिए नया राष्ट्रीय एवं राज्य पाठ्यक्रम ढांचा (Curriculum Framework) विकसित किया जाएगा जिससे पाठ्यक्रम में सुधार होगा।
  • सभी स्तरों पर सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio), निवल नामांकन अनुपात (Net Enrollment Ratio) में वृद्धि होगी।
  • इससे ड्रॉपआउट व स्कूल ना जाने वाले बच्चों में भी कमी आएगी।
  • इसमें मातृभाषा, स्थानीय भाषा क्षेत्रीय भाषाओं के मध्याम से शिक्षा देने पर जोर दिया जाएगा।
  • पाठ्यक्रम में खेल,
  • कला,
  • भारत के बारे में जानकारी,
  • 21 वीं सदी की कौशल,
  • नागरिकता में मूल्य और पर्यावरण संरक्षण आदि शामिल किया जाएगा।
  • प्रायोगिक शिक्षा पर फोकस होगा
  • बोर्ड परीक्षाओं और विभिन्न प्रवेश परीक्षाओं में सुधार होगा।
  • क्षेत्रीय/ घरेलू/ स्थानीय भाषा में पाठ्य पुस्तकों की उपलब्धता होगी।
  • शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों (Teacher Education Programme) की गुणवत्ता में सुधार होगा।
  • छात्रों एवं शिक्षकों के लिए सुरक्षित, समावेशी और अनुकूल शिक्षण वातावरण का विकास होगा।
  • राज्यों में स्टेट स्कूल एजुकेशन स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी की स्थापना से एक ऑनलाइन और पारदर्शी पब्लिक डिस्कलोजर सिस्टम का निर्माण होगा जिससे सार्वजनिक और निजी स्कूलों में व्याप्त खाई को पाटा जा सकेगा।
  • शैक्षणिक योजना में टेक्नोलोजी के व्यापक प्रयोग को बल मिलेगा।

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