प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 फरवरी को हैदराबाद में संत रामानुजाचार्य की 216 फुट की प्रतिमा का अनावरण करने वाले हैं।
इस प्रतिमा को ‘स्टैचू ऑफ इक्वालिटी’ के रुप में वर्णित किया गया है। इस प्रतिमा की स्थापना हैदराबाद के बाहरी इलाके में स्थित मुचिन्तल गाँव में श्री चिन्ना जीयर स्वामी आश्रम के 40 एकड़ के विशाल परिसर में की गई है।
स्टैचू ऑफ इक्वालिटी क्या है?
- इस स्टैचू की स्थापना 11वीं सदी के वैष्णव संत रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती को चिन्हित करने के लिए की गई है।
- यह संत की विराजमान अवस्था (बैठने की स्थिति) में दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची प्रतिमा है।
- इसका निर्माण चीन एरोस्पन कॉर्पोरेशन (Aerospun Corporation) द्वारा सोने, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता के संयोजन वाले पंचधातु या पंचलोहा (Panchaloha) से किया गया है।
- डी. एन. वी. प्रसाद, इस प्रतिमा के मुख्य मूर्तिकार हैं।
संत रामानुजाचार्य कौन थे?
- रामानुजाचार्य का जन्म श्रीपेरंबुदूर (वर्तमान तमिलनाडु) में 1017ई. में हुआ था।
- ये एक वैदिक दार्शनिक, समाज सुधारक और वैष्णव परंपरा के सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतिपादकों में से एक के रुप में दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं।
- इन्हें इलाया पेरुमल (Ilaya Perumal) के नाम से भी जाना जाता था, जिसका अर्थ दीप्तिमान (radiant) है।
- रामानुजाचार्य, सभी वर्गों के बीच सामाजिक समानता के पैरोकार थे।
- उन्होंने मंदिरों को सभी जातियों के लिए अपने दरवाजे खोलने के लिए प्रोत्साहित किया।
- उन्होंने शिक्षा को उन लोगों तक पहुंचाया जो इससे वंचित थे।
- उनका सबसे बड़ा योगदान “वसुधैव कुटुम्बकं” की अवधारणा का प्रचार है।
- उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय की वकालत करते हुए पूरे भारत की यात्रा की।
- श्री रामानुजाचार्य ने बौद्धिक आधार पर शंकराचार्य के ‘अद्वैतवाद’ को कड़ी चुनौती दी और ‘विशिष्टाद्वैतवाद’ का प्रतिपादन किया।
- उन्होंने शंकराचार्य के मायावाद की अवधारणा का भी खंडन किया।
- 120 वर्ष की आयु में 1137ई. में तमिलनाडु के श्रीरंगम में इनका देहावसान हो गया।
संत रामानुजाचार्य का महत्त्वपूर्ण योगदान
- श्री रामानुजाचार्य ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया, और उनके उपदेशों ने अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया।
- वे कबीर, मीराबाई, अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज और कई अन्य रहस्यवादी कवियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत थे।
- इन्होंने प्रकृति और उसके संसाधनों जैसे- जल, वायु, मिट्टी, पेड़ आदि को पवित्र बताते हुए इन्हें प्रदूषण से बचाए जाने की अवधारणा भी पेश की।
- इन्होंने वैदिक साहित्य को आम आदमी तक पहुंचाया।
- श्री रामानुजाचार्य ने नौ ग्रंथों या नवरत्न की भी रचना की थी।
- उनके सभी ग्रंथ संस्कृत भाषा में हैं।
श्री रामानुजाचार्य के नवरत्न
- वेदार्थ-संग्रह – विशिष्टाद्वैत के सिद्धांतों को प्रस्तुत करने वाला एक ग्रंथ
- श्री भाष्य – वेदांत सूत्र पर एक विस्तृत भाष्य
- गीता-भाष्य – भगवत गीता पर एक विस्तृत भाष्य
- वेदांत-दीप – वेदांत सूत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी
- वेदांत सार – नौसीखियों (beginners) के लिए वेदांत सूत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी
- शरणागति गद्यम – भगवान श्रीमन्नारायण के चरण कमलों के प्रति समर्पण की प्रार्थना
- श्रीरंग गद्यम – भगवान विष्णु को आत्म-समर्पण की नियमावली
- श्री वैकुंठ-गद्यम – श्री वैकुंठ-लोक और मुक्त आत्माओं की स्थिति का वर्णन करता है
- नीती-ग्रंथ – भक्तों को दिन-प्रतिदिन की पूजा और गतिविधियों के बारे में मार्गदर्शन करने के लिए एक छोटी मार्गदर्शिका
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