राष्ट्रपति का पद
हमारे देश में दो स्तरों पर सरकार का गठन किया जाता है- संघ एवं राज्य। तथा सरकार भी दोनों ही स्तरों पर बनाई जाती है। इसमें संघ स्तर पर सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति होते हैं। यह हमारे भारत का सर्वोच्च पद है।
राष्ट्रपति को भारत का प्रथम नागरिक कहा जाता है।
संघ की कार्यपालिका के प्रमुख भी राष्ट्रपति ही होते हैं।
अपनी शक्तियों का कम प्रयोग करने के कारण राष्ट्रपति को नाममात्र का प्रमुख कहा जाता है, तथा प्रधानमंत्री को वास्तविक प्रमुख कहा जाता है।
क्यूंकि राष्ट्रपति का पद संवैधानिक है। इसे हमारे संविधान के अनुच्छेद 52 से 61 में बताया गया है। इन्हें ही detail में हम आज पढ़ने वाले हैं-
- अनुच्छेद 52– संविधान के इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति के पद के बारे में बताया गया है कि भारत की कार्यपालिका का एक प्रमुख होगा जिसे हम राष्ट्रपति कहेंगे।
- अनुच्छेद 53– इस अनुच्छेद में भारत के राष्ट्रपति की शक्ति एवं कार्य को बताया गया है।
- अनुच्छेद 54– राष्ट्रपति के निर्वाचन का प्रावधान इस अनुच्छेद में दिया गया है। राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष चुनाव से होता है।
राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वाले निर्वाचक मण्डल के सदस्य-
- लोकसभा व राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
- दिल्ली व पुडुचेरी की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
- अनुच्छेद 55– राष्ट्रपति के निर्वाचन की रीति इस अनुच्छेद में बताई गई है।
समान आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली– इस प्रणाली में संघ यानि देश (लोकसभा व राज्यसभा) तथा राज्य की विधानसभाओं दोनों को समान वोट मिलते हैं।
यानि कम से कम 50%+1 या इससे अधिक वोट मिलने पर ही प्रत्याशी चुनाव जीत सकता है।
- अनुच्छेद 56– राष्ट्रपति की पदावधि को इस अनुच्छेद में बताया गया है कि वह 5 वर्ष तक अपने पद पर रहेंगे। यह पदावधि राष्ट्रपति के शपथ (Oath) ग्रहण के दिन से शुरू होती है।
और यदि अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले वह अपने पद से इस्तीफा देना चाहे तो राष्ट्रपति अपना त्याग-पत्र उप-राष्ट्रपति देते हैं।
- अनुच्छेद 57– राष्ट्रपति के पुनर्निर्वाचन की प्रक्रिया को भारतीय संविधान के इस अनुच्छेद में बताया गया है। इसके अनुसार एक व्यक्ति कितनी भी बार राष्ट्रपति चुना जा सकता है। इसकि कोई तय सीमा नहीं है, यह एक से अधिक बार भी राष्ट्रपति चुने जा सकते हैं।
- अनुच्छेद 58– यह अनुच्छेद राष्ट्रपति पद के लिए योग्यता से संबंधित है। राष्ट्रपति पद के लिए निम्न योग्यताओं का होना अनिवार्य है-
- उम्मीदवार भारत का नागरिक हो
- न्यूनतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए
- लोकसभा सदस्य बनने योग्य हो
- किसी लाभ के पद पर ना हो अर्थात् वह किसी सरकारी नौकरी में ना हो
प्रस्तावक व अनुमोदक–
चुनाव के नामांकन या Nomination के समय कम से कम निर्वाचक मण्डल के 50 सदस्य आपके प्रस्तावक तथा 50 सदस्य अनुमोदक होने चाहिए। हम कह सकते हैं की कम से कम 100 सदस्यों का विश्वास उम्मीदवार को होना चाहिए।
- अनुच्छेद 60– इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति की शपथ के बारे में बताया गया है। भारत के मुख्य न्यायधीश राष्ट्रपति को शपथ दिलाते हैं। मुख्य न्यायधीश की अनुपस्थिति में वरिष्ठ न्यायाधीश यह कार्य करते हैं।
- अनुच्छेद 61– महाभियोग की प्रक्रिया का प्रावधान इस अनुच्छेद में दिया गया है। राष्ट्रपति को केवल एक ही स्थिति में उनके पद से हटाया जा सकता है, वह भी तब जब वह संविधान का उल्लंघन करे या संविधान का पालन ना करे।
यदि वह ऐसा करते हैं तो संसद में उनके खिलाफ महाभियोग लाया जाता है। यह महाभियोग संसद के दोनों सदनों लोकसभा तथा राज्यसभा में लाया जा सकता है।
परंतु महाभियोग लाने से 14 दिन पहले राष्ट्रपति को लिखित रूप से सूचना दी जाती है। यदि इन 14 दिनों में राष्ट्रपति त्याग-पत्र दे देते हैं तो महाभियोग नहीं लाया जाता।
दोनों सदनों की स्वीकृति मिलने के बाद ही राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाकर उन्हें हटाया जा सकता है।
यदि राष्ट्रपति अपना कार्यकाल पुरा होने से पहले ही अपना इस्तीफा दे देते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है। ऐसी स्थिति में उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति के स्थान पर कार्य करते हैं।
उप-राष्ट्रपति, राष्ट्रपति के रूप में अधिकतम 6 माह तक ही कार्य कर सकते हैं। इस अवधि में ही राष्ट्रपति चुनाव होते हैं तथा नए राष्ट्रपति को चुना जाता है।
राष्ट्रपति की शक्तियां
हमारे संविधान के अनुच्छेद 53 में राष्ट्रपति को शक्तियां दी गई हैं, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति अपनी शक्तियों का प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थों के माध्यम से करेंगे।

राष्ट्रपति अपनी अधिकतम शक्तियों का प्रयोग अपने अधीनस्थ मंत्रीपरिषद एवं प्रधानमंत्री के माध्यम से करते हैं।
क्रम संख्या | शक्तियां | कार्य |
1 | कार्यपालिका संबंधी शक्तियां | नियुक्ति की शक्ति अंतरराज्यीय परिषद का गठन वित्त आयोग का गठन अनुसूचित क्षेत्र घोषित करना SC, ST, OBC आयोग का गठन |
2 | विधायी शक्ति | संसद का अभिन्न अंग विधेयक पारित करना अध्यादेश जारी करने की शक्ति संसद को संबोधित करना संसद के सत्र बुलाना, सत्रावसान, सत्र भंग करना |
3 | वित्तीय शक्ति | धन विधेयक पर सहमति आकस्मिक निधि पर पूर्ण नियंत्रण सरकार से वार्षिक वित्तीय विवरण संसद में पेश करने को कहना |
4 | न्यायिक शक्ति | क्षमादान की शक्ति सुप्रीम कोर्ट से सलाह ले सकते हैं SC व HC के जजों की नियुक्ति करना |
5 | सैन्य शक्ति | तीनों सेनाओं के अध्यक्ष युद्ध या शांति की घोषणा करना |
6 | आपात शक्ति | अनुच्छेद 352 के तहत आपात अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करना अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपात |
7 | वीटो शक्ति | अनुच्छेद 111- पॉकेट वीटो |
8 | स्वविवेक शक्ति | लोकसभा के चुनाव दल या गठबंधन को बहुमत ना मिलने की स्थिति में प्रधानमंत्री चुनना |
राष्ट्रपति की कार्यपालिका से जुड़ी शक्तियां-
- नियुक्ति की शक्ति– कुछ संवैधानिक पदों पर नियुक्ति का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है, जैसे- प्रधानमंत्री व मंत्रीपरिषद। इसके अलावा CAG, चुनाव आयोग व वित्त आयोग के आयुक्त, SC व HC के जजों की नियुक्ति, राज्यपाल आदि।
- अंतरराज्यीय परिषद का गठन– यह संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत किया जाता है।
- वित्त आयोग का गठन– संविधान के अनुच्छेद 280 के अंतर्गत इस आयोग का गठन भी राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। यह केंद्र और राज्यों के बीच करों के विभाजन को व्यवस्थित करता है।
- अनुसूचित क्षेत्र घोषित करना– किसी विशेष क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित करना भी राष्ट्रपति का ही कार्य है तथा इसके बाद उस क्षेत्र के लिए अलग से प्रशासन व्यवस्था की जाती है।
- SC, ST, OBC आयोग का गठन– SC, ST, OBC आयोग का गठन भी राष्ट्रपति द्वारा ही किया जाता है।
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां–
विधेयक बनाने संबंधी शक्तियां इस शक्ति में आती हैं।
- राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होते हैं।
- कोई भी विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही पारित माना जाता है।
इन विधेयकों में कुछ विधेयक ऐसे होते हैं जिन पर राष्ट्रपति को पहले हस्ताक्षर करने होते हैं जैसे- संविधान संशोधन विधेयक, संचित निधि से धन निकालने संबंधी विधेयक, धन विधेयक।
कुछ विधेयकों पर लोकसभा व राज्यसभा दोनों के पास करने के बाद।
- अनुच्छेद 123 के तहत राष्ट्रपति के पास अध्यादेश जारी करने की शक्ति होती है। यह ऐसी स्थिति में लाया जाता है जब दोनों सदनों की बैठक ना चल रही हो। ऐसे में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अध्यादेश जारी किया जा सकता है।
- संसद को संबोधित करना भी राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों में से एक है। चुनाव के बाद की पहली बैठक हो या वित्तीय वर्ष की आरंभिक बैठक हो राष्ट्रपति उसे संबोधित करते हैं।
- अनुच्छेद 85 के तहत संसद के सत्र बुलाना, सत्रावसान (कुछ समय के लिए रोकना) करना तथा लोकसभा भंग करने की भी शक्ति संविधान राष्ट्रपति को देता है।
राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां
वित्त से जुड़ी वे शक्तियां जो राष्ट्रपति को प्राप्त हैं, वे सभी इन शक्तियों में आती हैं।
- राष्ट्रपति धन विधेयक को पेश होने से पहले अपनी सहमति देते हैं, इसके बाद ही यह विधेयक लोकसभा में पेश होता है।
कोई विधेयक धन विधेयक है इसकि घोषणा लोकसभा अध्यक्ष करते हैं।
- आकस्मिक निधि जिस पर पूर्णतः राष्ट्रपति यानि कार्यपालिका का नियंत्रण होता है। इसका प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 267 में किया गया है।
- प्रत्येक वर्ष अनुच्छेद 112 के तहत राष्ट्रपति सरकार को वार्षिक वित्तीय विवरण संसद में पेश करने को कहते हैं। इसे हम बजट कहते हैं।
राष्ट्रपति की न्यायिक शक्ति
न्यायपालिका से जुड़ी कुछ विशेष शक्तियां राष्ट्रपति को भी दी गई हैं।
- अनुच्छेद 72 के तहत क्षमादान की शक्ति प्राप्त है। इसमें राष्ट्रपति किसी अपराधी को क्षमा कर सकते हैं, फिर चाहे वह राष्ट्रीय स्तर का हो अथवा राज्य स्तर का। अपराधी की सजा को कम भी कर सकते हैं।
- अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से सलाह ले सकते हैं।
- SC व HC के जजों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति करते हैं।
राष्ट्रपति की सैन्य शक्ति
- तीनों सेनाओं जल, थल व वायु सेनाओं के अध्यक्ष राष्ट्रपति होते हैं।
- किसी भी देश के साथ युद्ध या शांति की घोषणा करने का अधिकार राष्ट्रपति को होता है।
राष्ट्रपति की आपात शक्ति
- अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपात। यह युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में लगाया जाता है। अभी तक यह 3 बार लगाया गया है-
1962 में चीन से युद्ध के समय,
1971 में बांग्लादेश निर्माण के समय,
1975 में सर्वोदय आंदोलन के समय लगाया गया।
- अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन। इसे राज्यों में संवैधानिक तंत्र विफल होने पर राज्य में लगाया जाता है।
- अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपात। जब किसी क्षेत्र विशेष के वित्तीय हालात बहुत खराब हो जाते हैं उस स्थिति में इसे लगाया जाता है। अभी तक इसका उपयोग नहीं हुआ है।
इन तीनों अनुच्छेदों को लगाने या हटाने की शक्ति राष्ट्रपति के पास होती है, राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रीपरिषद की सलाह से करते हैं।
राष्ट्रपति की वीटो शक्ति
संविधान के अनुच्छेद 111 के तहत राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है, जिसे हम वीटो शक्ति कहते हैं।
जब कोई विधेयक या बिल राष्ट्रपति के पास पहुंचता है तो राष्ट्रपति के पास उसे लेकर तीन विकल्प होते हैं पहला कि वे उस पर हस्ताक्षर करके उसे पास कर दें, दूसरा- उसे पुनर्विचार के लिए वापस भेज दें या फिर तीसरा विकल्प उसे अपने पास रख लें।
यह तीसरा विकल्प ही पॉकेट वीटो कहलाता है। इसे राष्ट्रपति अपने पास कितने भी समय के लिए रख सकते हैं, इसकि कोई समय सीमा नहीं है।
राष्ट्रपति की स्वविवेक की शक्ति
संविधान में सभी स्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह प्रावधान किया गया कि जब राष्ट्रपति के पास सलाह के लिए कोई ना हो तो वे कैसे निर्णय ले सकते हैं?
जैसे लोकसभा के चुनाव में यदि किसी 1 दल या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला तो ऐसी परिस्थितियों में किसे प्रधानमंत्री चुना जाए यह राष्ट्रपति तय करते हैं।
यही वे शक्तियां हैं जहाँ राष्ट्रपति बिना किसी की सलाह के भी निर्णय ले सकते हैं। यह शक्तियां दर्शाती हैं की राष्ट्रपति को कुछ विशेष शक्तियां प्राप्त हैं जो अपना अलग महत्व रखती हैं।

छोटी-छोटी मगर बड़े काम की बातें-
- अप्रत्यक्ष चुनाव– जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि अपना प्रमुख चुनते हैं। जैसे राष्ट्रपति का चुनाव।
- प्रत्यक्ष चुनाव– प्रतिनिधि को जनता के द्वारा सीधे चुने जाना। जैसे विधायक को चुनना।
- राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेने वालों को निर्वाचक मण्डल कहा जाता है।
- राष्ट्रपति के चुनाव में राज्यों की विधान परिषद् भाग नहीं लेती।
- समान आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की तरह ही एकल हस्तांतरणीय मत पद्धति या एकल संक्रमणीय मत पद्धति राष्ट्रपति के निर्वाचन की ही पद्धति के अलग-अलग नाम हैं।
- राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से तथा गुप्त चुनाव होता है।
- शपथ-ग्रहण को पद-ग्रहण भी कहा जा सकता है।
- अभी तक डॉ राजेन्द्र प्रसाद ही सबसे लंबे समय तक हमारे देश के राष्ट्रपति रहे हैं। वे दो बार राष्ट्रपति चुनाव जीते थे।
- USA में एक व्यक्ति अधिकतम 2 बार ही राष्ट्रपति बन सकता है।
- राष्ट्रपति पद के लिए कोई अधिकतम आयु सीमा नहीं है।
- राष्ट्रपति पद के लिए 15000 रुपए जमानत राशि RBI या सरकारी खजाने में जमा करवानी होती है। उम्मीदवार के जीतने पर उसे यह राशि वापस मिल जाती है।
- लेकिन यदि प्रत्याशी कुल मतों का 1/6 मत पाने में असफल हो जाते हैं तो जमानत राशि जब्त हो जाती है। यह 1/6 सभी चुनावों में लागू होता है। जिसमें पंचायत स्तर से राष्ट्रपति पद तक के सभी पद शामिल हैं।
- अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया गया है।
- राष्ट्रपति पद संबंधी कोई भी विवाद होने पर उसका निपटारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया जाएगा।
- राष्ट्रपति पद का चुनाव भी निर्वाचन आयोग ही करवाता है।
- राष्ट्रपति का वेतन वर्तमान में बढ़ाकर 5 लाख किया गया है।
- उप-राष्ट्रपति का वेतन वर्तमान में बढ़ाकर 4 लाख किया गया है।
- प्रधानमंत्री का वेतन वर्तमान में 3.8 लाख है जोकि संसद के सदस्य के रूप में।
- राज्यपाल का वेतन वर्तमान में बढ़ाकर 3.5 लाख किया गया है।
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