अपने उत्तर में हिमालय के पर्वतों से दक्षिण में समुद्र तक फैले इस उपमहाद्वीप जिसे आज हम भारत के नाम से जानते हैं। इसे महाकाव्यों और पुराणों में भारतवर्ष यानि भरतों का देश तथा यहाँ रहने वालों को भारती अर्थात् भरत की संतान कहा गया है। भरत एक प्राचीन कबीले का नाम था। प्राचीन भारतीय अपने देश को जंबुद्वीप भी कहते थे। जबकि ईरानी इसे सिंधु नदी के नाम से जोड़ते थे, जिसे ईरानी सिंधु ना कहकर हिन्दू कहते थे। बाद में यही नाम प्रचलित होते हुए फैल गया।
यूनानी इसे इंदे और अरब इसे हिन्द कहते थे। मध्यकाल तक आते-आते यह हिंदुस्तान के नाम से जाना जाने लगा। यूनानी भाषा के इंदे के आधार पर अंग्रेज इसे इंडिया कहने लगे।

प्रागैतिहासिक काल – ऐसा काल जिसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं हैं। इसके बारे में हमें पुरातात्विक स्रोतों से पता चलता है, इस काल का कोई लिखित स्रोत इसलिए नहीं है क्यूंकि इस काल के मानव, आदि मानव थे जो की लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे। इसे पाषाण काल (stone-age) कहा जाता है। प्राप्त अवशेषों से ही इस काल के जीवन का प्रमाण मिलता है। इस काल के उपलब्ध प्रमाण उनके औजार हैं, जो प्रायः पत्थरों से निर्मित हैं।
ए. कानिघंम को प्रागैतिहासिक पुरातत्व का जनक कहा जाता है। औजारों की प्रकृति के आधार पर इसे 3 भागों में बाँटा गया है- पुरापाषाण काल, मध्य पाषाण काल एवं नव पाषाण काल।

इसे हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं-
आधार | पुरापाषाण काल | मध्यपाषाण काल | नवपाषाण काल |
काल | 25 लाख BC से 10 हजार BC | 10 हजार BC से 4 हजार BC | 10 हजार BC से 1 हजार BC |
चरण | पूर्व पुरापाषाण काल, मध्य पुरापाषाण काल, उच्च पुरापाषाण काल | मध्यपाषाण काल एवं नवपाषाण दोनों ही काल साथ में चल रहे थे जिसमें कहीं कम विकास हो रहा था तो कहीं अधिक | |
लक्षण/ गुण | आखेटक यानि शिकारी व खाने के लिए इधर-उधर भटकना, निवास करना | पशुपालन की शुरुआत, कुत्ते को पालतू पशु बनाया गया। | कृषि, पशुपालन की शुरुआत, समाज के स्थायी निवास का आरंभ। क्यूंकि कृषि की रखवाली के लिए वहाँ रहना जरूरी था। |
औजार | मुख्य रूप से पत्थर और हड्डियों के औजार। क्वारजाइट, शल्क, ब्लैड आदि। | माइक्रोलीथ या छोटे पत्थरों का हथियार बनाने में प्रयोग किया जाने लगा। | पत्थर के साथ-साथ स्लैट से बने हथियारों का प्रयोग |
महत्वपूर्ण स्थल | अतिरंपक्कम (तमिलनाडु), हथनौरा (मध्यप्रदेश) से पहली बार मानव खोपड़ी के साक्ष्य मिले। भीमबेटका (नर्मदा घाटी, मध्यप्रदेश) से चित्रकारी के प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं जो कि तीनों ही कालों से जुड़े हुए हैं। मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) से तीनों कालों के औजार प्राप्त हुए हैं। | चौपानिमंडों (उत्तर प्रदेश) से प्राचीन मृदभांड अर्थात् मिट्टी के बर्तन के साक्ष्य मिले हैं। सरायनहराय (उत्तर प्रदेश) बागौर (राजस्थान) आदमगढ़ (मध्यप्रदेश) से पशुपालन के प्रमाण मिले हैं। | बुर्जहोम (कश्मीर) से गर्तवास यानि गड्ढों में रहने के प्रमाण मिले हैं तथा कब्र में मानव के साथ कुत्ते को दफनाने के भी प्रमाण मिले हैं। गुफ्फाकराल (कश्मीर), चिराँद (बिहार), कोंडीहवा (उत्तरप्रदेश) से चावल की कृषि के प्रथम प्रमाण मिलते हैं। |
खोज | आग की खोज, लेकिन उपयोग पता नहीं था। | आग का प्रयोग करना सीखा। | पहिया, पशुपालन, विधिवत कृषि, समाज |
महत्वपूर्ण तथ्य
- कृषि के प्रमाण मेहरगढ़ (बलूचिस्तान) से मिलते हैं।
- मानव द्वारा प्रयोग में लाया गया पहला हथियार कुल्हाड़ी थी।
- मानव द्वारा इस्तेमाल की गयी पहली धातु तांबा थी।
- मानव द्वारा सबसे पहले कुत्ते को पालतू बनाया गया।