GSblog

gsblog

मौलिक अधिकार | मूल अधिकार | Fundamental Rights | Part-1

मौलिक अधिकार क्या हैं? | What are Fundamental Rights?

मौलिक या मूल अधिकार वे अधिकार होते हैं, जो किसी भी व्यक्ति के सभी प्रकार के विकास के लिए जरूरी होते हैं। या हम कह सकते हैं कि ये वे अधिकार हैं, जो मानव के जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जरूरी होते हैं।

मौलिक अधिकार हमारे संविधान में कहाँ से आए?

हमारे संविधान में मौलिक अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के संविधान से लिए गए हैं, जिन्हें हमने अपने संविधान में प्रवर्तित (बदलाव) करने के बाद अपनाया है।

मौलिक अधिकार हमारे संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 में दिए गए हैं।

मूल संविधान में भारतीयों को 7 मौलिक अधिकार दिए गए थे, जो कि 44वें संविधान संशोधन 1978 के बाद 6 रह गए।

7 मौलिक अधिकारों में से संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों में से हटा कर कानूनी अधिकारों में अनुच्छेद 300(a) में रख दिया गया।

मौलिक अधिकारों को संविधान द्वारा संरक्षण प्राप्त है, इनकी अवमानना होने पर हम सुप्रीम कोर्ट, high कोर्ट जा सकते हैं।

संविधान द्वारा हमें निम्न 6 मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकारअनुच्छेद संख्या
समता का अधिकारअनुच्छेद 14 से 18
स्वतंत्रता का अधिकारअनुच्छेद 19 से 22
शोषण के विरुद्ध अधिकारअनुच्छेद 23 से 24
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकारअनुच्छेद 25 से 28
सांस्कृतिक एवं शिक्षा से संबंधित अधिकारअनुच्छेद 29 से 30
संवैधानिक उपचारों का अधिकारअनुच्छेद 32

1- समता या समानता का अधिकार

यह अधिकार हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में दिया गया है, तथा जैसा की इसके नाम से ही पता चलता है यह अधिकार सभी भारतीय नागरिकों को सभी क्षेत्रों में समानता का अधिकार देता है। तथा समानता के विचारों को प्रेरित करता है। निम्न अनुच्छेदों में इसका विभिन्न प्रकार से वर्णन मिलता है –

  • अनुच्छेद 14विधि के समक्ष समानता – विधि यानि कानून के सामने सभी समान/बराबर होंगे।
  • अनुच्छेद 15धर्म, जाति, लिंग, जन्मस्थान आदि के विभेद पर रोक – किसी भी नागरिक के साथ किसी भी आधार पर भेद-भाव नहीं किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 16लोक नियोजन में अवसर की समानता – लोक नियोजन अर्थात् सरकारी नौकरियों में भी सभी को समान अवसर दिए जाएंगे।
  • अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत – इस अधिकार में अस्पृश्यता यानि छूआ-छूत का अंत किया गया।
  • अनुच्छेद 18उपाधियों का अंत – सैनिक व शैक्षिक उपाधियों के अलावा अन्य सभी उपाधियों का अंत इस अधिकार के अंदर किया गया है।

2- स्वतंत्रता का अधिकार

इस अधिकार को संविधान में अनुच्छेद 19 से 22 में बताया गया है। स्वतंत्रता का अधिकार भारतीय नागरिकों को इसलिए दिया गया है, ताकि सभी अपने व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास कर सकें और अपने साथ-साथ वे अपने देश के विकास में भी अपना योगदान दें। इस अधिकार को हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं –

  • अनुच्छेद 19अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार – अभिव्यक्ति अर्थात् मन के भाव यानि अपने मन के भावों को व्यक्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार।

स्वतंत्रता के अधिकार को 6 भागों में बाँटा गया है-

  1. बोलने की स्वतंत्रता – सभी नागरिकों को किसी भी विषय पर बोलने की पूर्ण स्वतंत्रता इस अधिकार में दी गई है।
  2. शांतिपूर्ण रूप में एकत्रित होने की स्वतंत्रता – हम शांतिपूर्ण रूप से किसी भी विषय पर एकत्रित हो सकते हैं। परंतु बिना हथियारों के।
  3. सभा-समूह बनाने की स्वतंत्रता – हमें अपने संविधान यह स्वतंत्रता मिली है कि हम कैसा भी सभा-समूह बनाने के लिए स्वतंत्र हैं।
  4. पूरे भारत में आवागमन की स्वतंत्रता – भारत के नागरिक होने के नाते हम बिना किसी भी प्रकार की रोक-टोक के भारत में कहीं भी आ-जा सकते हैं।
  5. भारत में निवास करने की स्वतंत्रता – हम अपनी सुविधा के अनुसार भारत में कहीं भी किसी भी राज्य में निवास करने की स्वतंत्रता इस अधिकार से पाते हैं।
  6. भारत में आजीविका कमाने की स्वतंत्रता – इस अधिकार से हम भारत में कहीं भी अपनी जीविका कमाने के लिए स्वतंत्र हैं।
source-google

अनुच्छेद 20अपराध के दोषसिद्धि के संदर्भ में संरक्षण – यदि किसी व्यक्ति को अपराधी बना दिया जाता है या माना जाता है तो उसके संरक्षण में ये अधिकार दिया गया है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं-

  1. इसके तहत किसी भी अपराधी को उसके अपराध की सजा उसके अपराध करने के समय के अनुसार ही दी जाएगी।
  2. अपराधी को स्वयं की विरुद्ध गवाही के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  3. किसी भी अपराधी को एक अपराध के लिए एक ही बार सजा मिलेगी।
  1. अनुच्छेद 21प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता/ जीवन का अधिकार – इस अधिकार को समय-समय पर न्यायालय विस्तारित करते रहते हैं, इसके अंतर्गत व्यक्ति को स्वच्छ वायु, स्वच्छ पानी, भोजन एवं निजता (privacy) जैसे अन्य कई अधिकार दिए गए हैं।
  2. अनुच्छेद 21A – शिक्षा का अधिकार – यह अधिकार मूल संविधान में नहीं था इस अधिकार को 86वें संविधान संशोधन 2002 द्वारा संविधान में जोड़ा गया। इस अधिकार में सभी 6 से 14 वर्ष के बच्चों के लिए अनिवार्य तथा निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया गया।
  3. अनुच्छेद 22 – गिरफ़्तारी के संदर्भ में संरक्षण – यदि किसी व्यक्ति को पुलिस पकड़ने या गिरफ्तार करने आती है तो उस समय उस नागरिक के पास कौन-से अधिकार होंगे उसकी व्याख्या ये अनुच्छेद करता है।इस अधिकार को हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं-
  1. कारण पूछने का अधिकार यानि कोई भी गिरफ्तार होने से पहले अपनी गिरफ़्तारी का कारण पूछ सकता है।
  2. गिरफ़्तारी के 24 घंटे के अंदर अपराधी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।
  3. अपने लिए कानूनी सलाह लेना मतलब अपराधी अपने या किसी भी अपनी मर्जी के वकील से बात कर कानूनी सलाह ले सकता है।

3- शोषण के विरुद्ध अधिकार

source-google

भारतीय संविधान में शोषण के विरुद्ध अधिकार को अनुच्छेद 23 व 24 में दिया गया है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं-

  1. अनुच्छेद 23 – इस अधिकार में मानव व्यापार पर रोक लगाना, बालात् श्रम यानि बच्चों से जबरन काम करवाना एवं बंधुआ मजदूर जैसे प्रावधान आते हैं जिन पर रोक लगाई गयी है।
  2. अनुच्छेद 24 – इस अधिकार में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को कहीं भी काम करने पर रोक लगाई गयी है।

संविधान के भाग एवं अनुच्छेद

भागअनुच्छेद संख्याविवरण
भाग 1अनुच्छेद 1 से 4संघ और उसका राज्य क्षेत्र, नए राज्य का निर्माण  
भाग 2अनुच्छेद 5 से 11नागरिकता
भाग 3अनुच्छेद 12 से 35मौलिक अधिकार
भाग 4अनुच्छेद 36 से 51राज्य के नीति-निदेशक सिद्धांत
भाग 4Aअनुच्छेद 51Aनागरिकों के मौलिक कर्तव्य (1976 के 42वें संविधान संशोधन से जोड़ा गया)
भाग 5  अनुच्छेद 52 से 151संघ सरकार से संबंधित
भाग 6  अनुच्छेद 152 से 237राज्य सरकार से संबंधित
भाग 7  अनुच्छेद 238प्रथम अनुच्छेद के भाग B से जुड़ा है। 1956 में 7वें संविधान संशोधन से हट दिया गया।
भाग 8  अनुच्छेद 239 से 242केंद्रशासित प्रदेशों का प्रशासन
भाग 9243 से 243ओपंचायतें
भाग 9A243P से 243ZGनगरपालिका
भाग 18  अनुच्छेद 352 से 360आपात उपबंध
भाग 19  अनुच्छेद 361 से 367प्रकीर्ण/विविध
भाग 20  अनुच्छेद 368संविधान संशोधन
भाग 21अनुच्छेद 369 से 392अस्थायी, परिवर्तित और विशेष कानून
भाग 22अनुच्छेद 393 से 395संक्षिप्त नाम, प्रारंभ, हिन्दी में प्राधिकृत पाठ और निरसन

संविधान से जुड़े महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • साधारण कानूनी अधिकारों व मौलिक अधिकारों में अंतर
  • साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है तथा उनकी रक्षा की जाती है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है।
  • मानवाधिकार – मानव होने के नाते सभी मनुष्यों को प्राप्त अधिकार।
  • कानूनी अधिकार – नागरिकों को कानून के द्वारा दिए गए अधिकार।
Constitution Tags:, , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Comments (3) on “मौलिक अधिकार | मूल अधिकार | Fundamental Rights | Part-1”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RSS
WhatsApp