प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में “सतत विकास ऊर्जा विषय” पर आयोजित वेबिनार को संबोधित किया था।
भारत का ऊर्जा मिश्रण
Thermal | 60% |
Hydro | 12% |
Solar | 12% |
Wind | 10% |
Bio-Power | 3% |
Nuclear | 2% |
Small Hydropower | 2% |
नवीकरणीय ऊर्जा और सतत विकास
- किसी देश के सतत विकास के लिए जरूरी है ऊर्जा की सतत सुलभता।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव के मुताबिक, ऊर्जा वह सुनहरी डोर है, जो आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समता और पर्यावरण की निरंतरता को जोड़ती है।
- ऊर्जा की सतत सुलभता से वंचित लोग, राष्ट्र और विश्व की प्रगति में हिस्सा लेने के अवसर से वंचित रह जाते हैं, अतः ऊर्जा की उपलब्धता असल में ऊर्जा के लिए सतत विकास एजेंडा का एक मूल अंग है।
- संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में से ‘सतत विकास लक्ष्य 7 : सस्ती, विश्वसनीय, सतत और आधुनिक ऊर्जा सुलभता’ सुनिश्चित करता है।
- पिछले कुछ वर्षों से भारत इसी परिकल्पना के साथ आगे बढ़ रहा है और इस वर्ष के बजट में इसे नीतिगत स्तर पर अपनाया भी गया है।
ऊर्जा के सतत स्रोतों की आवश्यकता
- वर्तमान में ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों का जिस तेजी से दोहन हो रहा है उससे इन परंपरागत स्रोतों के समाप्त हो जाने की गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
- ऊर्जा के बिना आधुनिक सभ्यता के अस्तित्व पर ही एक प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।
- ऐसे में आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ती दुनिया के लिए ऊर्जा के इन स्रोतों और संसाधनों का उपयोग करना न केवल जरूरी है बल्कि समय की मांग भी है।
- भारत के पास सतत व नवीकरणीय ऊर्जा बहुतायत में उपलब्ध है और इस वजह से देश स्वाभाविक फायदे की स्थिति में है, और इसीलिए यह देश की भावी ऊर्जा आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग भी है।
भारत की उपलब्धियां
- 2010 तक भारत दुनिया के ऐसे देशों में शामिल था जो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में बड़े खिलाड़ी के तौर पर नहीं गिने जाते थे।
- लेकिन पिछले दशक में भारत, विश्व में सबसे तेजी से बढ़ते अक्षय ऊर्जा बाजारों में से एक के रुप में उभरा है।
- भारत 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरा करने के ग्लासगो संकल्प के प्रति प्रतिबद्ध है।
- भारत ने 2022 के अंत तक 175 GW अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें सौर से 100 गीगावाट, पवन से 60 गीगावाट, जैव ऊर्जा से 10 गीगावाट और लघु जल विद्युत से 5 गीगावाट क्षमता हासिल करना शामिल है।
- जबकि 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता प्राप्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- यह अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी विस्तार योजना है।
- भारत के पास विश्व की चौथी और सबसे बड़ी पवन ऊर्जा क्षमता है, साथ ही विश्व में अक्षय ऊर्जा की चौथी सबसे बड़ी स्थापित क्षमता है।
- देश में उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल निर्माण के लिए 19.5 हजार करोड़ रुपए की बजट घोषणा, सौर मॉड्यूल तथा संबंधित उत्पादों के निर्माण और अनुसंधान एवं विकास में भारत को वैश्विक केंद्र बनाने में सहायक होगी।
- भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
भारत की पहलें
PM-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान योजना)
- कृषि पंपों के सौरीकरण के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा शुरू की गई।
सौर पार्क
- सौर पार्कों और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकास के लिए योजना शुरू।
राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन
- राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन का शुभारंभ कर देश को हरित हाइड्रोजन उत्पादन एवं निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
- फ्रांस में पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-21) के 21वें सत्र में 30 नवंबर 2015 को घोषित।
- सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों को समर्पित
रुफ-टॉप सोलर कार्यक्रम फेज़-II
- 2022 तक इसके जरिए 40 हजार मेगावाट की क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य।
निष्कर्ष
- बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं में वृद्धि हो रही है।
- गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत सीमित हैं, ऐसे में भारत को नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी तकनीकों को अपनाना होगा।
- जीवाश्म ईंधनों का दहन पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है ऐसे में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाना भी भारत के लक्ष्यों में शामिल है जिसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता है।