भारत ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है।
दरअसल, भारत ने गलवान विवाद पर इन खेलों के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है।
विदेश मंत्रालय की इस घोषणा के बाद प्रसार भारती द्वारा भी दूरदर्शन पर इन खेलों के उद्घाटन और समापन समारोह का प्रसारण नहीं करने का बयान जारी किया गया।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान, मध्य एशियाई गणराज्य कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले हैं।
इस दौरान पाकिस्तान और चीन के मध्य द्विपक्षीय समझौतों पर वार्ता होने की भी उम्मीद जताई जा रही है।
बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक
- बीजिंग में शुरू होने वाले इन शीतकालीन ओलंपिक का समापन 22 फरवरी 2022 को होगा।
- इनमें सात खेलों के अंतर्गत 15 विभिन्न प्रारूपों (disciplines) में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
- इनके तहत पदको के 109 सेट्स प्रदान किए जाएंगे जोकि प्योंगचांग 2018 के शीतकालीन ओलंपिक की तुलना में सात अधिक हैं।
- प्योंगचांग 2018 ओलंपिक का mascot ‘सोहोरंग’ (Soohorang) था।
- कोरियाई भाषा में ‘सोहो’ का अर्थ सुरक्षा जबकि ‘रंग’ का अर्थ हो-रंग-आई (Ho-rang-i) के मध्य अक्षर से आता है, जो ‘बोघ’ के लिए कोरियाई शब्द है।
- गौरतलब है कि इससे पूर्व बीजिंग में 2008 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन किया गया था।
भारत द्वारा ओलंपिक के बहिष्कार का कारण
- एक चीनी सैनिक के ओलंपिक मशाल वाहक के रुप में चुने जाने की घटना के बाद भारत ने यह निर्णय लिया।
- दरअसल, यह चीनी सैनिक PLA के शिनजियांग सैन्य कमान के रेजिमेंटल कमांडर क्यूई फैबाओ, भारत और चीन के मध्य हुई गलवान घटना में शामिल था।
- इस घटना को भारत ने ‘अफसोसजनक’ बताते हुए बीजिंग में भारतीय दूतावास के प्रभारी डी’अफेयर्स (Indian Charge d’Affairs) के बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक के उद्घाटन या समापन समारोह में शामिल नहीं होने की घोषणा की।
- वर्तमान में भारतीय प्रभारी डी’अफेयर्स एक्विनो विमल अभी बीजिंग में सबसे अधिक वरिष्ठ राजनयिक हैं जबकि अगले राजदूत, प्रदीप रावत ने अभी इस पद को ग्रहण नहीं किया है।
- भारत ने कहा है कि चीन द्वारा इस तरह से ओलंपिक जैसे आयोजनों का राजनीतिकरण किया जाना वास्तव में खेदजनक है क्योंकि चीन द्वारा गलवान संघर्षों के लिए सैन्य सम्मान स्वरूप क्यूई फैबाओ को मशाल वाहक बनाया गया है।
- इससे कहा जा सकता है कि भारत राजनयिक स्तर पर ओलंपिक का बहिष्कार कर रहा है, हालाँकि वह आयोजन के लिए एक एथलीट भेजेगा।
- भारत की ओर से एक खिलाड़ी, जो जम्मू-कश्मीर का एक स्कीयर है, भाग लेगा।
- हालाँकि, इन खेलों का बहिष्कार करने का भारत का फैसला पिछले साल सितंबर में ब्रिक्स के संयुक्त बयान को अपनाने के महीनों बाद आया है, जहाँ उसने बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के लिए चीन को अपना समर्थन व्यक्त करने की बात कही थी।
ओलंपिक का बहिष्कार करने वाले अन्य देश
- भारत के अलावा, पहले ही कई बड़े देश इन ओलंपिक खेलों के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं।
- इनमें अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, लिथुआनिया, लातविया, कोसोवो, बेल्जियम, डेनमार्क और एस्टोनिया के साथ अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, नीदरलैंड्स, स्वीडन और चेक गणराज्य व कई यूरोपीय देशों सहित अन्य देश शामिल हैं।
- 2024 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का मेजबान फ्रांस बहिष्कार के खिलाफ है।
- भारत के मामले में बहिष्कार का कारण गलवान घटना में शामिल एक चीनी सैनिक को ओलंपिक मशालवाहक बनाया जाना है।
- जबकि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों ने चीन के उईगर मुसलमानों के साथ कथित व्यवहार और मानवाधिकारों के मुद्दों पर यह निर्णय लिया।
- वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रिया, न्यूज़ीलैंड, स्लोवेनिया, स्वीडन और नीदरलैंड्स जैसे कुछ देशों ने महामारी से संबंधित जोखिमों का हवाला देते हुए अपने सरकारी अधिकारियों को नहीं भेजने की घोषणा की।
- जर्मनी के मंत्रियों ने चीनी टेनिस स्टार पेंग शुआई के साथ कथित व्यवहार के जवाब में खेलों में शामिल नहीं होने की बात कही।
पृष्ठभूमि- गलवान संघर्ष और अन्य महत्त्वपूर्ण विवाद
- गलवान घाटी पश्चिम में लद्दाख और पूर्व में अक्साई चीन के बीच स्थित है, जिसके कारण यह रणनीतिक रुप से बेहद महत्त्वपूर्ण है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर 2014 में अहमदाबाद में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेज़बानी की; जबकि PLA द्वारा उसी समय पूर्वी लद्दाख के चुमार में उल्लंघन किया गया।
- इस दौरान पीएम मोदी ने शी जिनपिंग से चुमार अपराधों की जाँच हेतु कहा क्योंकि PLA हमेशा LAC पर सक्रिय हो जाता था जब भारत में चीनी उच्च-स्तरीय यात्राएँ होती थीं।
- मार्च 2013 में, PLA ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में देपसांग बुलगे में घुसबैठ की, जब तत्कालीन चीनी प्रधानमंत्री ली केकियांग भारत यात्रा पर थे।
- भारतीय सेना के जवाबी युद्धाभ्यास के चलते PLA चुमार संघर्ष से पीछे हट गया, लेकिन देपसांग क्षेत्र में अभी भी बाधा डालता रहता है।
- 2015 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति शी के साथ LAC मुद्दे पर ज़ोर दिया लेकिन उन्होंने अपने रवैये से साफ कर दिया कि इस सीमा विवाद को हल करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है।
- जून 2020 के मध्य में गलवान घाटी (Galwan Valley) संघर्ष में एक कर्नल सहित 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई थी।
- इसे बीते चार दशकों में दोनों देशों के बीच सबसे खूनी मुठभेड़ कहा जा रहा है।
- पिछले साल चीन ने पहली बार आधिकारिक तौर पर अपने एक बटालियन कमांडर सहित PLA के चार जवान गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ संघर्ष में मारे जाने की घोषणा की।
- इसके अलावा हाल ही में चीन की PLA द्वारा अरुणाचल प्रदेश के एक लड़के अगवा कर कैद कर प्रताड़ित करने की घटना ने इस चिंगारी को फिर हवा दे दी।
प्रभाव
- प्रसार भारती के अलावा अन्य किसी भी प्रमुख प्रयोजक या प्रसारक ने अब तक इन खेलों के अधिकारियों प्रसारण को न दिखने जैसी इस तरह की कोई घोषणा नहीं की है।
- यह ज्यादातर देशों द्वारा किया जा रहा एक राजनयिक बहिष्कार है, जिसका मतलब है कि इसमें इन देशों के एथलीट शामिल होंगे।
- ऐसी भी आशंका है कि अमेरिका के नेतृत्व में उठाया गया यह कदम चीन को भी आगे ऐसा करने के लिए उकसा सकता है क्योंकि अमेरिका 2028 (लॉस एंजिल्स) में और ऑस्ट्रेलिया और 2032 (ब्रिस्बेन) में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेजबानी करने वाले हैं।
- इससे खेल जैसे सौहार्द्रपूर्ण आयोजनों में भी एक विद्वेषपूर्ण वैश्विक राजनीति को बढ़ावा मिल सकता है।
- मशाल वाहक और अरुणाचल प्रदेश के लड़के के मुद्दे भारत-चीन के बीच आपसी संबंधों की खाई को गहरा कर सकते हैं।