GSblog

भारतीय पर्यावरण सेवा (IES) की आवश्यकता | Need for creation of Indian Environment Service (IES)

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘भारतीय पर्यावरण सेवा’ के गठन के लिए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया।

केंद्र सरकार ने पर्यावरण से जुड़ी परियोजनाओं की मंजूरी की गति के आधार पर राज्यों के लिए नया ग्रेडिंग सिस्टम लाने का फैसला लिया।

टी. एस. आर. सुब्रमण्यम समिति और उसकी रिपोर्ट

  • अगस्त 2014 में केंद्र सरकार ने देश में मौजूद पर्यावरण से जुड़े कानूनों और प्रक्रियाओं की समीक्षा करने के लिए सुब्रमण्यम समिति का गठन किया।
  • 18 नवंबर 2014 को समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को सौंप दी।
  • एक संसदीय स्थायी समिति ने रिपोर्ट को खारिज कार दिया और एक अधिक विशेषज्ञता प्राप्त समिति के गठन का सुझाव दिया।
  • टी. एस. आर. सुब्रमण्यम समिति की रिपोर्ट की खास बातें-
    • ‘पर्यावरण कानून (प्रबंधन) अधिनियम (ELMA)’ का प्रस्ताव
    • राष्ट्रीय पर्यावरण प्रबंधन प्राधिकरण (NEMA) का गठन
    • राज्य स्तरों पर राज्य पर्यावरण प्रबंधन प्राधिकरण (SEMA) का गठन
  • पर्यावरण से जुड़े मसलों पर फैसला लेने की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए ‘फास्ट-ट्रैक’ प्रक्रिया अपनाना
  • ‘पर्यावरण पुनर्निर्माण लागत’ का आकलन
  • NEMA, SEMA या MoEF&CC के फैसलों के खिलाफ अपीलीय तंत्र स्थापित करना।
  • ‘राष्ट्रीय पर्यावरण अनुसंधान संस्थान’ का गठन
  • ‘भारतीय पर्यावरण सेवा’ के गठन का प्रस्ताव

भारतीय पर्यावरण सेवा (IES) का गठन इतना जरूरी क्यों?

  • दक्ष और प्रशिक्षित कर्मियों की कमी
  • मौजूदा सरकारी कर्मचारियों के पास जरूरी समय की कमी
  • पर्यावरण क्षेत्र की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रकृति के लिहाज से गठन जरूरी
  • मौजूदा प्रणाली दोषपूर्ण
  • पर्यावरण संबंधी कोई एकीकृत संरचना नहीं; जिससे समन्वय की कमी
  • विशेष समूह का अभाव
  • ‘एम. सी. मेहता बनाम भारत संघ’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से संगत

गठन की राह में मौजूद चुनौतियाँ

  • सरकार में इच्छाशक्ति की कमी
  • विशेषज्ञता तय करने के मानक न होना
  • नियुक्ति की प्रक्रिया और एजेंसी का निर्धारण
  • ट्रेनिंग अकादमी की कमी
  • राज्य और केंद्र सरकारों के कानूनों व नीतियों में एकरूपता की कमी।

ये भी जानें- प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन | First India-Central Asia Summit

निष्कर्ष

  • टी. एस. आर. सुब्रमण्यम समिति की रिपोर्ट पर गम्भीरतापूर्ण विचार करना।
  • उसकी समीक्षा के लिए एक हाई लेवल विशेषज्ञ समिति बनाना
  • समिति की सिफारिशों को जल्दी अपनाना
  • अधिकारियों की ट्रेनिंग के लिए एक ‘भारतीय पर्यावरण सेवा अकादमी’ स्थापित करना।
  • वर्तमान सेवा के दायरे और क्षेत्राधिकार को बढ़ाना
  • मौजूदा कानूनों को अदालत के फैसले के अनुरूप बनाने की जरूरत
  • योजनाओं को लागू करने के लिए साझा प्रयासों की जरूरतों
  • पर्यावरण संरक्षण को विकास संबंधी प्राथमिकताओं के साथ संतुलित करना।
  • संस्थानों को मजबूत करने और नियम बनाने की प्रक्रियाओं को आसान बनाने की दरकार
Current Gk Tags:, , , , , , ,

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RSS
WhatsApp