इतिहास एक ऐसी निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें हम अतीत की उन महत्वपूर्ण घटनाओं का अध्ययन करते हैं, जिसका प्रमाण या स्रोत होता है। तथा उन घटनाओं का सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक प्रभाव पड़ता है।
प्रत्येक अतीत की घटना इतिहास नहीं हो सकती। इतिहास भी एक प्रकार का विज्ञान है क्योंकि इसमें भी सभी घटनाओं का कोई ना कोई साक्ष्य/ प्रमाण/ सबूत/ स्रोत/ तथ्य होता है। तथा उससे हम निष्कर्ष निकालते हैं कि ऐसा हुआ होगा।
History शब्द ग्रीक (यूनानी) शब्द historiya से बना है। जिसका अर्थ शोध/ अन्वेषण होता है। अर्थात् शोध करके किसी तथ्य की पुष्टि करना।
हिन्दी में इतिहास शब्द इति+हास से बना जहाँ इति से अर्थ ऐसा ही है और हास का अर्थ है हुआ होगा यानि इतिहास का अर्थ है- ऐसा ही हुआ।

इतिहास का पिता हेरोडॉटस को कहा जाता है। जो की एक ग्रीक इतिहासकार थे तथा हेरोडॉटस ने हिस्टोरीका नाम की किताब लिखी। यह आयोनिक भाषा में है, जो की यूनान की एक क्षेत्रीय भाषा थी।
हिस्टोरीका में ही भारत और फारस के बीच में विभिन्न संबंधों की चर्चा है। तथा उस समय में होने वाले युद्धों की भी चर्चा इसमें की गई है।
इतिहास के स्रोतों को तीन भागों में बाँटा गया है-
स्रोत | उदाहरण |
साहित्यिक स्रोत/ literary sources | वेद, पुराण, अकबरनामा, बाबरनामा, इंडिका, अर्थशास्त्र, अभिज्ञान शकुंतलम आदि |
पुरातात्विक स्रोत/ archaeological evidences | सिक्के, मूर्तियाँ, चित्रकलाएं, अवशेष, अभिलेख, मोहरें, भवन एवं स्मारक आदि |
विदेशी यात्रियों का विवरण/ Foreigner account | विदेशी यात्रियों के लिखे हुए ग्रंथों जैसे- इंडिका(मेगस्थनिज), किताब-उल-हिन्द(अल्बरूनी), फो-क्यो-की(फ़ाहियान) |
इतिहास के इन्हीं तीनों स्रोतों को हम detail में निम्न प्रकार समझ सकते हैं-
1)साहित्यिक स्रोत – साहित्यिक स्रोतों में धार्मिक साहित्य एवं धर्मेतर साहित्य शामिल हैं। धार्मिक साहित्य के अंतर्गत वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण, स्मृति ग्रंथ, बौद्ध तथा जैन ग्रंथों को शामिल किया गया है। धर्मेतर साहित्य में ऐतिहासिक एवं समसामयिक साहित्य जैसे- अर्थशास्त्र, कथासरितसागर, मुद्राराक्षस आदि को शामिल किया गया है।

2)पुरातात्विक स्रोत – इन स्रोतों में अभिलेख, मुद्रा, मूर्तियाँ, चित्रकला एवं स्मारक आते हैं। अभिलेख शिलाओं, स्तंभों, ताम्रपत्रों, दीवारों, मुद्राओं एवं प्रतिमाओं पर खुदे हैं।
- पश्चिम एशिया में बोगजकोई से प्राप्त सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख (1400 ईसा पूर्व) में चार वैदिक देवताओं इन्द्र, मित्र, वरुण, नासत्य का उल्लेख मिलता है।
- बेसनगर (विदिशा) से प्राप्त गरुड़ स्तम्भ लेख से भागवत धर्म के प्रसार का विवरण मिलता है।
- अन्य अभिलेखों में हाथीगुम्फा अभिलेख (कलिंग नरेश खारवेल), प्रयाग स्तम्भ लेख (समुद्रगुप्त), मंदसौर अभिलेख (मालवा नरेश यशोधर्मन), जूनागढ़ अभिलेख (रुद्रदामन), एहोल अभिलेख (पुलिकेशीन द्वितीय) आदि प्रमुख हैं।

3)विदेशी यात्रियों एवं लेखकों के विवरण – विदेशी यात्रियों एवं लेखकों के विवरण से प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।
- यूनानी-रोमन (क्लासिकल) लेखकों में टेसीयस तथा हेरोडॉटस (इतिहास के पिता) का नाम उल्लेखनीय है।
- सिकंदर के साथ भारत आने वाले विदेशी लेखक नियार्कस, आनेसीक्रिटस तथा अरिस्टोबुलस थे।
- अन्य विदेशी लेखकों में मेगस्थनीज, प्लूटार्क एवं स्ट्रेबो के नाम शामिल हैं।
- मेगस्थनीज, सेल्यूकस का राजदूत था, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। मेगस्थनीज की इंडिका में मौर्ययुगीन समाज एवं संस्कृति का विवरण मिलता है।
- हेनसांग का वृतांत सी-यू-की नाम से प्रसिद्ध है।
- फ़ाहियान की रचना फो-क्यो-की है।
- अरबी लेखक अल्बरूनी महमूद गजनवी के साथ भारत आया था। उसकी कृति किताब-उल-हिन्द अथवा तहकीक-ए-हिन्द (भारत की खोज) में तत्कालीन भारतीय समाज की दशा का वर्णन है।
इतिहास को इतिहासकारों ने 3 भागों में बाँटा जो कि निम्न प्रकार है-
- प्रागैतिहासिक काल – ऐसा काल जिसका कोई लिखित साक्ष्य नहीं हैं। इसके बारे में हमें पुरातात्विक स्रोतों से पता चलता है, इस काल का कोई लिखित स्रोत इसलिए नहीं है क्यूंकि इस काल के मानव आदि मानव थे जो की लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे। इसे पाषाण काल (stone-age) कहा जाता है।
- आद्य इतिहास काल – इस काल के लिखित साक्ष्य हैं। परंतु हम इन्हे पढ़ नहीं पाए हैं अभी तक क्यूंकि यह चित्र रूप में है। जैसे- हड़प्पा काल आदि।
- ऐतिहासिक काल – यह काल लिखा भी गया है और पढ़ भी गया है। वैदिक काल से अभी तक के इतिहास को इस काल में रखा गया है।

महत्वपूर्ण तथ्य
- अभिलेखों के अध्ययन को ऐपिग्राफी कहते हैं।
- सिक्कों के अध्ययन को नियुमिस्मेटिक्स (मुद्रा शास्त्र) कहते हैं।
- भारतीय पुरातत्व के जनक अलेक्जेंडर कनिंगम को कहा जाता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना अलेक्जेंडर कनिंगम ने 1861 में की।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वर्तमान निदेशक वी. विद्यावती है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का आदर्श वाक्य प्रत्नकीर्तिमपवृणु है।
- भारत का राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में स्थित है।
- राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में है।