इस post में हम सिंधु घाटी सभ्यता के विस्तार के बारे में पढ़ेंगे। लेकिन इससे पहले जैसा कि हम सिंधु घाटी सभ्यता-1 में पढ़ चुके हैं की यह सभ्यता विश्व की 4 प्राचीन सभ्यताओं में से एक है और यह सबसे अधिक विस्तृत सभ्यता रही है। यह कांस्ययुगीन आद्य ऐतिहासिक सभ्यता के रूप में विश्व इतिहास में प्रसिद्ध है। जैसा की हम पढ़ चुके हैं सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में 1921 में इसकी खोज हुई। तथा सबसे पहले खोजा गया स्थल हड़प्पा था, इसीलिए इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता का नाम दिया गया। सिंधु नदी के किनारे होने के कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से जाना जाता है।

विभिन्न हड़प्पा स्थल
जैसा की हम जानते हैं, भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में हड़प्पा सभ्यता के स्थल पाए गए हैं।
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान में सिंधु घाटी सभ्यता के दो स्थल मिलें हैं- शोर्तुघई एवं मुंडीकाक।
पाकिस्तान
पाकिस्तान में हड़प्पा सभ्यता के लगभग 500 से भी अधिक स्थल पाए गए हैं। जो की इसके तीन राज्यों पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान में स्थित हैं। जिनमें की सिंधु घाटी सभ्यता की राजधानी माने जाने वाले हड़प्पा और मोहनजोदड़ों प्रमुख हैं। जिनमें से हड़प्पा की खोज सबसे पहले हुई थी और यह पाकिस्तान के पंजाब राज्य में रावी नदी के तट पर स्थित है।

सिंधु नदी के दाएं तट पर मोहनजोदड़ो और मोहनजोदड़ो से कुछ ही दूरी पर सिंधु नदी के बाईं ओर एक और प्रमुख स्थल है जिसका नाम कोटदीजी है, यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में खोजा गया था। तथा सिंधु नदी के ही बाएं तट पर एक और प्रमुख स्थल है, जिसका नाम चन्हुदड़ो है।
पाकिस्तान में ही बलूचिस्तान के एक छोर के पास सुत्कागडोर नाम का एक स्थल मिला जो की इस सभ्यता का पश्चिमी छोर कहा जाता है, यह दास्क नदी के तट पर स्थित है। यहीं बलूचिस्तान में ही कुछ अन्य स्थल भी हैं जिनमें डाबरकोट और बालाकोट प्रमुख हैं।

भारत में हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल
जैसा की हम जानते हैं, भारत के उत्तर-पश्चिम में इस सभ्यता के अधिकतर स्थल पाए गए हैं। भारत के जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र तथा उत्तर-प्रदेश से खुदाई में इस सभ्यता के स्थल मिले हैं।
राज्य | स्थल |
जम्मू-कश्मीर | माँदा (हड़प्पा सभ्यता का उत्तरी छोर), चिनाब नदी के तट पर |
पंजाब | रोपड़ संघोल |
हरियाणा | बनवाली (मिट्टी के हल के साक्ष्य एवं बैलगाड़ी का एक खिलौना) राखीगढ़ी (भारत में हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर) भगवानपुरा |
राजस्थान | कालीबंगा (खुदाई में काले रंग की चूड़ियाँ एवं खेती, हल के निशान मिले हैं। अग्निकुंड की जानकारी भी यहीं से मिलती है) बालाथल |
उत्तर-प्रदेश | आलमगीरपुर (हड़प्पा सभ्यता का सबसे पूर्वी स्थल), हिंडन नदी के तट पर स्थित है संगोली बड़गाओं |
गुजरात | लोथल, यह हड़प्पा सभ्यता का बंदरगाह,जलीय मार्ग से व्यापार का केंद्र था। अग्निकुंड और चावल के प्रमाण यहाँ से मिलें हैं। धौलावीर (कच्छ क्षेत्र में), जल निकासी का या नालियों का सबसे व्यवस्थित ढांचा तथा लकड़ी की नालियाँ यहाँ से प्राप्त होती हैं। सुतकोटदा, घोड़े की अस्थि के अवशेष मिले हैं रंगपुर, (चावल के साक्ष्य) भगतराव रोजदी |
महाराष्ट्र | दाईमाबाद (हड़प्पा सभ्यता का सबसे दक्षिणी स्थल), गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। |

हड़प्पा सभ्यता में नगर नियोजन
सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता इसका नगर-नियोजन था। क्योंकि इस प्राचीन सभ्यता में जो नगर तथा नगर का स्वरूप प्राप्त हुआ है, वह अन्य किसी प्राचीन सभ्यता में नहीं पाया गया है। इसकी कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्न प्रकार हैं-
ग्रिड (Grid) पद्धति
इस सभ्यता के सभी नगर ग्रिड प्रणाली पर आधारित थे। इस पद्धति में सड़कें सीधी होती हैं तथा एक-दूसरे को समकोण पर काटती हैं। या कहें कि यह शतरंज जैसे आकार के होते हैं।
शहरों का विभाजन
इस सभ्यता के शहर दो भागों में बँटे थे, पूर्वी तथा पश्चिमी नगर। जिनमें से पूर्वी नगर को निचला नगर तथा पश्चिमी नगर को दुर्ग या उच्च नगर कहा जाता था।
उच्च नगर में अमीर रहते थे क्यूंकि, यहाँ के मकान अधिक विकसित, बड़े व सुव्यवस्थित थे।
निचले नगर में मजदूर, किसान तथा निम्न वर्ग आदि यहाँ रहा करते थे। हड़प्पा सभ्यता के अधिकांश नगरों में यही नगर-विभाजन देखने को मिलता है।

ईंटों का प्रयोग
दुर्गों के चारों तरफ की दीवार ईंटों से बनी होती थी तथा दुर्गों में बने घर भी ईंटों से ही निर्मित होते थे। इस सभ्यता से कच्ची तथा पक्की दोनों प्रकार की ईंटों के प्रमाण मिलते हैं। जहाँ कच्ची ईंटों से सड़कें व दुर्ग की दीवारें बनाई जाती थीं, वहीं पक्की ईंटों का प्रयोग भवन निर्माण के लिए होता था। यह सभी ईंटें 4 :2 :1 क्रमशः लंबाई :चौड़ाई :ऊंचाई के अनुपात में मिलती हैं।
सड़कें
सड़कें समकोण रूप में, व ग्रिड पद्धति के अनुसार बनी होती थीं। सड़कें दो प्रकार की होती थीं- मुख्य सड़क जोकि लगभग 10 मीटर से अधिक चौड़ी होती थी, तथा गलियां लगभग 3 से 4 मीटर चौड़ी होती थीं।
दरवाजे
हड़प्पा सभ्यता के घरों के खिड़की-दरवाजे मुख्य सड़क पर न खुलकर गलियों में होते थे। सुरक्षा अथवा सड़क की धूल-मिट्टी से बचने के लिए वे ऐसा करते हों ऐसा संभव है।
कुआँ
इस सभ्यता के लगभग सभी घरों से कुएं मिले हैं। जहाँ जल संचय का कार्य होता हो तथा जल निकासी के लिए भी सभी घरों में व्यवस्था थी। नालियों की भी सभी जगह से सुव्यवस्थित व्यवस्था मिली है। धौलावीर से लकड़ी की नाली मिली है।
शौचालय
पुरतत्ववेत्ताओं तथा विशेषज्ञों का कहना है की आधुनिक शौचालय व्यवस्था से मिलती-जुलती व्यवस्था ही इस सभ्यता में मिलती है, जैसे की सभी घरों में अलग शौचालय।
सामूहिक भवन
ऐसे भवन थे जो समाज या नगर के सभी लोगों के लिए एक साथ बनाए जाते थे। जैसे- मोहनजोदड़ो से प्राप्त स्नानागार, विशाल अन्नागार (अन्न भंडारों के रूप में), सामूहिक सभागार।

अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
- सम्पूर्ण हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो है जबकि वर्तमान भारत में पाए गए स्थलों में राखीगढ़ी (हरियाणा) सबसे बड़ा नगर है।
- कालीबंगा को बी.बी.लाल एवं थापर ने खोजा था।
- धौलावीरा एक सुव्यवस्थित नगर था जोकि तीन खंडों में विभाजित था। जबकि मोहनजोदड़ों व हड़प्पा दो खंडों में विभाजित थे- ऊपरी नगर व निचले नगर।
- सुतकोटदा में घोड़े जल मार्ग से ईरान से आए होंगे ऐसा विशेषज्ञों का मानना है, इसीलिए घोड़े के अवशेष केवल इसी जगह पर मिले हैं।
- हड़प्पा सभ्यता के सबसे अधिक स्थल गुजरात में मिले हैं।
- वर्तमान समय जैसी स्थिति हड़प्पा सभ्यता में भी रही होगी।
- केवल लोथल में दरवाजे मुख्य सड़क की ओर मिले हैं।
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