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प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन | First India-Central Asia Summit | GS Blog

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वर्चुअल प्रारूप में प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन (First India-Central Asia Summit) की मेजबानी की। इसमें कज़ाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शिरकत की।

भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच नेताओं के स्तर पर अपनी तरह का यह पहला संवाद है। यह बैठक सभी छह देशों द्वारा व्यापक और स्थायी साझेदारी के महत्व को इंगित करती है।

भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के प्रमुख बिंदु

सम्मेलन के तीन प्रमुख उद्देश्य हैं-

  • क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए भारत और मध्य एशिया के बीच आपसी सहयोग अनिवार्य है।
  • आपसी सहयोग के लिए एक प्रभावी ढाँचा प्रदान करना, जो सभी हितधारकों के बीच विभिन्न स्तरों पर नियमित बातचीत के लिए एक मंच की स्थापना का मार्ग प्रशस्त्र करेगा।
  • एक महत्त्वाकांक्षी रोडमैप तैयार करना जो सभी को आगामी 3 वर्षों में क्षेत्रीय संपर्क और सहयोग के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण (Integrated approach) अपनाने में सक्षम बना सके।

भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन की पृष्ठभूमि

  • भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में सभी मध्य एशियाई देशों का दौरा किया था; इसके बाद, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर उच्च स्तर पर आदान-प्रदान हुआ है।
  • विदेश मंत्रियों के स्तर पर भारत-मध्य एशिया वार्ता (India-Central Asia Dialogue) की शुरुआत ने भारत-मध्य एशिया संबंधों को गति प्रदान की है; इस वार्ता की तीसरी बैठक भारत के विदेश मंत्री की अध्यक्षता में 19 दिसंबर 2021 को नई दिल्ली में हुई थी।
  • इस बैठक में कज़ाकिस्तान गणराज्य, किर्गिज़ गणराज्य, ताजिकिस्तान गणराज्य, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान गणराज्य के विदेश मंत्रियों ने भाग लिया था।
  • इसके अलावा नवंबर 2021 में नई दिल्ली में आयोजित अफगानिस्तान पर क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में सभी पाँच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों तथा रूस और ईरान के एनएसए ने भी भाग लिया जिसने अफगानिस्तान पर एक सामान्य क्षेत्रीय दृष्टिकोण को रेखांकित किया है।

भारत और मध्य एशिया संबंध

मध्य एशिया (Central Asia):

  • एशिया महाद्वीप में स्थित यह क्षेत्र पश्चिम में कैस्पियन सागर से लेकर पूर्व में चीन एवं मंगोलिया तक तथा दक्षिण में अफगानिस्तान एवं ईरान से लेकर उत्तर में रूस तक फैला हुआ है।
  • इस क्षेत्र में कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान आते हैं।

भारत के संबंध

  • भारत के सभी पाँच मध्य एशियाई राज्यों के साथ मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं।
  • सोवियत संघ के विघटन के बाद से ही भारत लगातार मध्य-एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
  • ये भू-आबद्ध देश हैं इसलिए पाकिस्तान के माध्यम से व्यापार करने के कारण एक सीधे थलमार्ग की कमी है जिसके चलते वर्तमान में भारत और मध्य एशिया के बीच कुल व्यापार केवल $2 बिलियन प्रति वर्ष के स्तर पर है।
  • इस $2 बिलियन के व्यापार में से अधिकांश कज़ाकिस्तान से ऊर्जा आयात से आता है, जबकि शेष $1 बिलियन से अधिक में कच्चे तेल का हिस्सा है।
  • इसी कड़ी में भारत ने ईरान और अफगानिस्तान के साथ चाबहार बंदरगाह परियोजना त्रिपक्षीय समझौता किया जिसके तहत ईरान में चाबहार बंदरगाह का उपयोग करते हुए इन मध्य एशियाई देशों से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया जा सके।
  • वर्तमान में मध्य एशिया के बीच अधिकांश व्यापार ईरान के बांदर अब्बास, उत्तरी यूरोप या चीन के माध्यम से होता है।
  • इसके अलावा इंडिया सेंट्रल एशिया बिजनेस काउंसिल की स्थापना फेडरेशन ऑफ द इंडियन चेंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) द्वारा की जा रही है।
  • भारत ने इन मध्य एशियाई देशों के साथ ‘एयर कॉरिडोर’ स्थापित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
  • इसके अलावा भारत ने अश्वाबात समझौते, जिसका उद्देश्य ईरान, ओमान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे की स्थापना करना है, में शामिल होकर ‘क्षेत्र में कनेक्टिविटी के कई विकल्पों’ का समर्थन किया है।
  • हालाँकि, चाबहार और अफगानिस्तान के बीच रेल-लिंक विकसित किया जाना बाकी है, जो बढ़ते नियमित व्यापार का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होगा।
  • भारत ने 2020 में ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, कनेक्टिविटी, आईटी और कृषि के क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिए $1 बिलियन लाइन ऑफ क्रेडिट (LOC) का विस्तार किया और मध्य एशियाई देशों के छात्रों के लिए शैक्षिक अवसरों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।
  • भारत और मध्य एशियाई गणराज्य आतंकवाद जैसे मामलों में समान चिंताओं को भी साझा करते हैं।
  • भारत ने मध्य एशियाई देशों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के अपने प्रारंभिक चरण के दौरान टीकों और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति भी की।

कज़ाकिस्तान– यह भारत को यूरेनियम का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और इस क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार भी है।

  • दोतरफा व्यापार (Two-way trade), जिसमें ज्यादातर तेल शामिल है, 2020-21 के दौरान 1.9 बिलियन डॉलर रहा।
  • कज़ाख सैनिक लेबनान में संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल में एक भारतीय बटालियन का हिस्सा हैं।
  • दोनों पक्षों का ‘काज़िंद’ (Kazind) नामक एक नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास भी है।
  • कज़ाकिस्तान में लगभग 8,000 भारतीय हैं।

किर्गिस्तान– इसके साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी है; 2019 में भारत ने इसे $200 मिलियन की लाइन ऑफ क्रेडिट प्रदान की।

  • दोनों देशों का ‘खंजर’ (Khanjar) नामक एक वार्षिक संयुक्त सैन्य अभ्यास है।
  • किर्गिस्तान में 15,000 से अधिक भारतीय छात्र निवास करते हैं।

ताजिकिस्तान– भारत का रणनीतिक साझेदारी है और भारत-ताजिक मैत्री अस्पताल, ताजिकिस्तान के साथ रक्षा में भारत के मजबूत सहयोग का प्रतीक है।

उज़्बेकिस्तान– यह भारत का रणनीतिक साझेदार है।

  • चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए एक त्रिपक्षीय कार्य समूह का हिस्सा है।
  • 2018 में इसे $1 बिलियन का ऋण प्रदान किया जबकि $415 मिलियन की चार परियोजनाओं को पहले ही स्वीकृत किया जा चुका है।
  • कई भारतीय विश्वविद्यालयों और दवा कंपनियों ने उज़्बेकिस्तान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।

भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन का महत्त्व

  • यह शिखर सम्मेलन भारत-मध्य एशिया संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में अहम कड़ी साबित हो सकता है।
  • यह इन देशों के साथ भारत के व्यापार और संपर्क, आपसी साझेदारी और सांस्कृतिक संबंध और People-to-People contacts को बढ़ावा देने में सहायक होगा।
  • भारत, ईरान और अफगानिस्तान का मानना है कि चाबहार परियोजना भारतीय सामानों के लिए अफगानिस्तान और आगे मध्य एशियाई देशों तक न केवल बेहतर कनेक्टिविटी का आधार बनेगी बल्कि समुद्री मार्ग तक इनकी पहुँच भी सुनिश्चित करेगी।
  • इसे मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के लिए सुनहरे अवसरों का प्रवेश द्वार माना जा रहा है।
  • चाबहार बंदरगाह, पाकिस्तान में चीनी निवेश के साथ विकसित किए जा रहे ग्वादर बंदरगाह के प्रत्युत्तर के रुप में भी काम कर सकता है।
  • तालिबान शासित अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति और पाकिस्तान के जरिए बढ़ते आतंकवाद की समस्या के मद्देनजर भी यह भारत के आपसी संबंधों के जरिए अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की तरफ ठोस कदम कहा जा सकता है।
  • भारत के सहयोग और संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए 4C यानि Commerce, Capacity enhancement, Connectivity और Contacts पर फोकस करना चाहता है।

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चुनौतियाँ

  1. मध्य एशियाई देशों का पाकिस्तान की ओर झुकाव बढ़ा।
  2. ये देश बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के साथ-साथ एक चतुर्भुज ट्रेफिक-इन-ट्रेड समझौते (Quadrilateral Traffic-in Trade Agreement) का हिस्सा हैं, जिसमें चीन भी शामिल है।
  3. चीन और इस क्षेत्र के बीच व्यापार वर्तमान में $41 बिलियन से अधिक
  4. मध्य एशियाई देश तालिबान शासन के प्रति चिंतित
  5. सभी मध्य एशियाई देश तालिबान मुद्दे पर भारत के साथ एकमत नहीं

निष्कर्ष

  • कनेक्टिविटी और आपसी सहयोग की महत्ता
  • हालिया घटनाक्रम, जैसे अफगानिस्तान में तालिबान शासन, तथा चीन की बढ़ती विस्तारवादी नीति को देखते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा और एक मजबूत पड़ोस के लिए भारत को ऐसे मंचों के जरिए नेतृत्व प्रदान कर अपनी पहुँच को विस्तार देने की जरूरत है।
  • मध्य एशियाई के लिए भारत भी एक अहम भागीदार
  • मध्य एशियाई देशों द्वारा भारत को अश्गाबात समझौते में शामिल किया जाना भारत को मध्य एशिया और यूरेशिया दोनों के साथ व्यापार और वाणिज्यिक बातचीत की सुविधा के लिए कनेक्टिविटी नेटवर्क और इस क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों तक पहुँच प्रदान करता है।
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