भारत में बढ़ती मुद्रास्फीति दर इतनी सुर्खियों में क्यों?
- भारत में बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण मांग-आपूर्ति साम्य में विचलन
- अक्टूबर के लिए जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में वृद्धि
- खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) का खाद्य मूल्य सूचकांक (FFPI) 10 वर्षों के शिखर पर
मुद्रास्फीति और इसके सामान्य कारण
मुद्रास्फीति– निश्चित समय-अंतराल में वस्तुओं व सेवाओं के सापेक्ष मुद्रा मुद्रा के मूल्य में गिरावट से वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में वृद्धि
मुद्रास्फीति के सामान्य कारण
- लागत-जन्य मुद्रास्फीति: उत्पादन की लागत में वृद्धि से कीमतों में वृद्धि
- मांग-प्रेरित मुद्रास्फीति: मांग, वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से अधिक
कुछ अन्य कारण
- बिल्ट-इन मुद्रास्फीति: महंगाई के कारण श्रमिकों की वेतन वृद्धि से मांग में वृद्धि; इसे दोधारी तलवार भी कहा जाता है।
- वैश्विक कारक: अंतर्राष्ट्रीय मूल्य में वृद्धि से मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी
मुद्रास्फीति बढ़ने के वर्तमान कारण
- सप्लाई-चेन टूटने से मांग-आपूर्ति में मिसमैच
- सरकार द्वारा बाजार में मुद्रा की आपूर्ति में बढ़ोतरी जैसे:-
- कई आधारभूत व संरचनात्मक परियोजनाओं पर जोर
- ग्रामीण मजदूरों के रोजगर के लिए मनरेगा कार्यक्रम के बजट में वृद्धि
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से कई महीनों के राशन की आपूर्ति एक साथ
- राजकोषीय घाटा मान्य सीमा से काफी अधिक; जिससे मौद्रिक नीति का प्रभाव सीमित
- सरकार की राजस्व प्राप्ति में कमी; जिससे कस्टम ड्यूटी व ईंधन तेलों और गैस पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी
- असामान्य मानसून से खाद्यान्न तथा सब्जी के उत्पादन नुकसान; जिससे इसके दामों में वृद्धि
- मुद्रास्फीति की वैश्विक ट्रेंड में भी वृद्धि जिससे आयातित वस्तुओं के दाम में बढ़ोतरी
मुद्रास्फीति का आर्थिक विकास पर प्रभाव
- निचले तथा मध्यम आय वर्ग की क्रयशक्ति में कमी
- मांग में कमी; उत्पादन हतोत्साहित; बेरोजगारी दर में वृद्धि
- निर्यात में कमी; भुगतान संतुलन प्रभावित
- कृषि लागत में बढ़ोतरी
- बाजार अस्थिर; विदेशी निवेश प्रभावित
- आर्थिक विकास पर बुरा असर
निष्कर्ष
- पॉलिसी फ्रेमवर्क पर नए सिरए से विचार
- टूटी सप्लाइ चेन को फिर से बहाल करने के लिए मांग-आपूर्ति गैप में संतुलन लाना
- राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति में समन्वय
इस website पर लिखे लेख या article मैं खुद लिखती हूँ, जिसमें की मेरे अपने विचार भी शामिल होते हैं; और इनमें लिखे कुछ तथ्यों में कुछ कमी हो सकती है। इन कमियों को सुधारने और इन लेखों को और बेहतर बनाने के लिए मेरी help करें और अपने साथ-साथ और भी विद्यार्थियों को आगे बढ़ने में ऐसे ही सहायता करते रहें।
साथियों यदि आपको इस लेख से जुड़ा कोई भी सवाल हो तो Comment में जरूर बताएं, और अगर आपको लगता है की इसे और बेहतर किया जा सकता है तो अपने सुझाव देना ना भूलें।
ऐसी ही अन्य जानकारी के लिए GS blog पर आते रहें, तथा इसे और बेहतर बनाने में अपना सहयोग दें।