भारत के महान्यायवादी Attorney General of India (AGI)
संवैधानिक पदों में हम इससे पहले राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं।
इससे पहले हमने कार्यपालिका (Executive) के बारे में पढा था, जो संघ सरकार के अंतर्गत आते थे। अर्थात केंद्र स्तर पर कार्यपालिका के कई बिंदुओं के बारे में हमने पढ़ा।
जिनमें हमने राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रीपरिषद आदि को पढ़ा।
भारतीय संविधान में अनुच्छेद 76 में महान्यायवादी शब्द को परिभाषित किया गया है। इसे समझने के लिए हमें पहले निम्न बिंदुओं को समझना होगा-
- सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों में कई बार विधि (कानून) संबंधी त्रुटियाँ (गलतियाँ) हो जाती हैं। अर्थात वह कानूनी रुप से मान्य है या नहीं।
- यदि उस कानून में कोई समस्या होती है तो उसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा चुनौती दे दी जाती है तथा इसका न्यायिक पुनरावलोकन होता है। कई बार ऐसे कानूनों को रद्द भी किया जा सकता है।
उपरोक्त परिस्थितियों के उत्पन्न होने की स्थिति में सरकार को हमेशा एक कानूनी सलाहकार जिसे विधि की अच्छी समझ हो, की जरूरत होती है; जो सरकार को कानून संबंधी ज्ञान एवं सलाह दे सके।
हम कह सकते हैं कि सरकार को एक विधि सलाहकार की जरूरत होती है जोकि भारत के महान्यायवादी होते हैं।
परिभाषा– भारत के प्रथम विधि अधिकारी और केंद्र सरकार के कानूनी सलाहकार को भारत का महान्यायवादी कहते हैं। इनकी नियुक्ति होती है।

नियुक्ति
इनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है तथा इन्हें केंद्र सरकार की सलाह पर नियुक्त किया जाता है।
कार्यकाल
भारत के महान्यायवादी का पद ऐसा पद है जिसकी कोई कार्यकाल सीमा तय नहीं है। यानि यह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत (इच्छानुसार) पद पर बने रहते हैं।
त्याग-पत्र
महान्यायवादी अपना त्याग-पत्र भारत के राष्ट्रपति को सौंपते हैं।
योग्यता
भारत के महान्यायवादी के पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समान योग्यता होनी आवश्यक है। इसे हम ऐसे समझ सकते हैं-
- वह व्यक्ति एक या एक से अधिक हाई कोर्ट में जज के रुप में कार्य कर चुका हो।
- या फिर 10 वर्ष या उससे अधिक समय तक किसी हाई कोर्ट में वकील के रुप में कार्य कर चुका हो।
शक्तियां
- यह संसद के सदस्य नहीं होते हैं।
- केवल सरकार के लिए विधि सलाहकार
- संसद के किसी भी सदन की बैठक में भाग लेने, बोलने, संसदीय समिति में सदस्य बनने की अनुमति प्राप्त है। कह सकते हैं कि इन्हें सांसद के समान सभी अधिकार प्राप्त होते हैं परंतु वोट डालने का अधिकार नहीं होता।
- संसद में किसी भी विषय पर वोट देने का अधिकार नहीं क्यूंकी यह संसद के सदस्य नहीं होते हैं।
- सरकार की ओर से किसी भी न्यायालय में भाग लेने का अधिकार है।
छोटी-छोटी मगर बड़े काम की बातें
- वर्तमान में भारत के महान्यायवादी के. के. वेणुगोपाल हैं।
- सॉलिसिटर जनरल– महान्यायवादी के सहायक के रुप में कार्य करते हैं।
- नियुक्ति– जब किसी समूह द्वारा किसी एक व्यक्ति का नाम प्रस्तावित (suggest) किया जाता है तथा उसके बाद उसे पद के लिए चुन लिया जाता है तो उसे नियुक्ति कहते हैं। उदाहरणार्थ- प्रधानमंत्री।
- निर्वाचन– जब जनता द्वारा या किसी सदन द्वारा किसी अथवा किसी समूह द्वारा कुछ लोगों में से किसी एक व्यक्ति को चुना जाता है तो वह निर्वाचन कहलाता है। उदाहरणार्थ- लोकसभा के सदस्य।
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