संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की स्थापना को इस साल (2022 में) 50 साल पूरे हो रहे हैं।
UNEP आने वाली 3 और 4 मार्च को अपनी स्वर्ण जयंती मनाने जा रहा है।
इस अवसर पर, UNEP ने सभी देशों से पृथ्वी के लिए खतरा पैदा करने वाले तीन बड़े जोखिमों- जलवायु परिवर्तन, प्रकृति व जैव विविधता की हानि, तथा प्रदूषण व बढ़ते कचरे से निपटने के लिए विशाल स्तर पर कार्यवाई करने का आह्वान किया है।
इस जयंती समारोह से पूर्व 28 फरवरी से 2 मार्च तक UNEP के मुख्यालय में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (UN Environment Assembly-UNEA) का पाँचवाँ सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें सर्वाधिक चिंतनीय पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीतियों पर सहमति बनाई जा सके।
इसके अलावा रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन, समुद्री कचरा तथा कोरोना महामारी (कोविड-19) के बाद ग्रीन रिकवरी जैसे कुछ मुद्दों को भी UNEP द्वारा आगे संबोधित किया जाएगा।
वर्षगांठ को चिन्हित करने के लिए, UNEP@50 बैनर के तहत गतिविधियों और आउटरीच कार्यक्रमों की एक साल लंबी शृंखला हो रही है, जो वैश्विक पर्यावरणीय मामलों में की गई महत्त्वपूर्ण प्रगति और आने वाली पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करने के प्रयासों को चिन्हित करती है।
UNEP | United Nations Environment Programme | संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम
- मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र के ऐतिहासिक सम्मेलन के बाद 1972 में UNEP की स्थापना हुई थी और यह एक प्रमुख वैश्विक पर्यावरण प्राधिकरण है।
- यह वैश्विक स्तर पर पर्यावरण एजेंडा निर्धारित करने, संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर सतत विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिए एक आधिकारिक अधिवक्ता के रुप में कार्य करने की परिकल्पना के अनुरूप कार्य करता है।
- यह UNEP अपने 193 सदस्य राज्यों और नागरिक समाज, व्यवसायों और अन्य प्रमुख समूहों तथा हितधारकों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्य करता है।
- यह UNEA के माध्यम से पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करता है
- UNEA पर्यावरण पर दुनिया का सर्वोच्च स्तरीय निर्णय लेने वाला निकाय है।
- रियो +20 के दौरान जून 2012 में UNEA अस्तित्व में आई थी।
- UNEP गवर्निंग काउंसिल की पहली बैठक जून 1973 में जिनेवा में हुई थी।
- इसका मुजहयले जिनेवा के नैरोबी में है और यह अपने डिवीजनों के साथ-साथ क्षेत्रीय, संपर्क और आउट-पोस्टेड कार्यालयों और उत्कृष्टता के सहयोगी केंद्रों के बढ़ते नेटवर्क के माध्यम से काम करता है।
UNEP के कार्य एवं उद्देश्य
- UNEP अपने कार्य को सात व्यापक विषयगत क्षेत्रों में वर्गीकृत करता है:
- जलवायु परिवर्तन, आपदायें और संघर्ष, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरणीय शासन, रसायन और अपशिष्ट, संसाधन दक्षता, तथा पर्यावरण की समीक्षा
- यह अपनी आय के मामले में 95% स्वैच्छिक योगदान पर निर्भर करता है।
UNEP की महत्त्वपूर्ण उपलब्धियाँ
- यह ऐसी पर्यावरणीय चुनौतियाँ, जो पृथ्वी के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं, के मामलों में सरकारों सहित सभी हितधारकों को संबोधित करने के लिए एक साथ लाता है।
- इसने 15 बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों के लिए डॉकिंग स्टेशन के रुप में भी अग्रणी भूमिका निभाई है, जैसे
- मिनामाता कन्वेंशन, जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, ओज़ोन परत के संरक्षण के लिए विएना कन्वेंशन, वन्य जीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सम्मेलन (CITES), बेसल कन्वेंशन, स्टॉकहोम कन्वेंशन, रॉटरडैम कन्वेंशन, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल आदि।
- इसके अलावा यह संगठन कई महत्त्वपूर्ण बहुपक्षीय पर्यावरणीय समझौतों और अनुसंधान निकायों के सचिवालयों की मेज़बानी भी करता है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण ने 1988 में इंटर- गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की स्थापना की।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का आकलन करने के लिए संयुक्त राष्ट्र निकाय है।
- संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन के लिए बहुपक्षीय कोष के लिए कई कार्यान्वयन एजेंसियों में से एक है।
- UNEP संयुक्त राष्ट्र Development Group का भी सदस्य है।
- यह पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्वव्यापी प्रयासों का समन्वय करता है।
- इनमें ओज़ोन परत की मरम्मत, लीडेड ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने, कुछ लुप्तप्राय प्रजातियों को विलुप्त होने से रोकने आदि में महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया है।
- 2010 में इसके द्वारा जारी ऐतिहासिक विज्ञान-आधारित मूल्यांकन, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर देशों की प्रतिज्ञाओं और इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे की वृद्धि देने के लिए आवश्यक कटौती के बीच अंतराल को दिखाता है।
- 2016 में UNEP के कार्यकारी निदेशक बने नार्वे के एरिक सोलहेम ने प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए आवश्यक कार्यवाई की।
- 2018 से जून 2019 तक तंजानिया के मसूया अंतरिम कार्यकारी निदेशक बने जिनके कार्यकाल में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा का नेतृत्व हुआ।
- UNEP की आठवीं और वर्तमान कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन और इन्हें अंतर्राष्ट्रीय विकास अर्थशास्त्र, पर्यावरणीय स्थिरता, रणनीति संचालन में 30 से अधिक वर्षों का अनुभव है।
- इनके नेतृत्व में UNEP ने जलवायु परिवर्तन, प्रकृति और जैव विविधता के नुकसान, तथा प्रदूषण और कचरे के तिहरे संकट पर फोकस किया है।
UNEP द्वारा जारी महत्वपूर्ण रिपोर्ट
- उत्सर्जन गैप रिपोर्ट
- वैश्विक पर्यावरण आउटलुक
- फ़्रंटियर्स
- एडॉप्टेशन गैप
UNEP के प्रमुख कार्यक्रम
- Clean Up the World Campaign
- Plant for the Planet: The Billion Tree Campaign
- बीट पॉल्यूशन
- विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून)
भारत और UNEP
- भारत में UNEP की उपस्थिति 2016 में शुरू हुई थी।
- UNEP से डील करने के संदर्भ में भारत सरकार का पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय, नोडल मंत्रालय की भूमिका निभाता है।
- फोकस के क्षेत्र: जलवायु परिवर्तन; आपदाएं और संघर्ष; पारिस्थितिकी प्रबंधन; पर्यावरणीय शासन; पर्यावरण की समीक्षा; हानिकारक पदार्थ और संसाधन का कुशल उपयोग।
- केन्या में भारत के उच्चायुक्त को UNEP में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रुप में मान्यता प्राप्त है।
- भारत संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के सामान्य-उद्देश्य निधि और कई बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों के लिए (लगभग $100,000) वार्षिक वित्तीय योगदान देता है।
- UNEP द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके पर्यावरण नेतृत्व के लिए चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है।
- गौरतलब है कि भारत का 2022 तक एकल-उपयोग प्लास्टिक (single-use plastic) मुक्त होने का संकल्प है।
- 2019 में भारत, जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन (CCAC) में शामिल हो गया, जो UNEP द्वारा होस्ट किया गया।
निष्कर्ष
- हाल ही के दशकों में पर्यावरण और प्राकृतिक जीवन के लिए विकराल चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने ट्रिपल ग्रह संकट को “प्राथमिक अस्तित्वगत खतरे” के रुप में वर्णित किया है, जिसके मद्देनजर हालात को बदलने के लिए एक तत्काल और चौतरफा प्रयास की जरूरत है।
- साथ ही उन्होंने COP26 के दौरान आगाह किया था कि प्रकृति के साथ क्रूरता बरतने व कठोर बर्ताव को अब रोका जाना होगा।
- कोरोना महामारी के बाद एक स्थायी और समावेशी विकास को हासिल करना बड़ा मुद्दा है।
- इसके अलावा रसायन और अपशिष्ट प्रबंधन, समुद्री कचरा आदि भी उल्लेखनीय पर्यावरणीय मुद्दे हैं।
- उन पर्यावरण कार्यक्रम आमजन व पृथ्वी के लिए, पर्यावरण के क्षेत्र में वैश्विक व्यवस्था की नए सिरे से परिकल्पना पर जोर दे रहा है।